सरकार नहीं चाहती फिलहाल राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का दोबारा गठन
नई दिल्ली, केन्द्र सरकार के पास फिलहाल देश में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के दोबारा गठन को लेकर कोई योजना नहीं है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी है.
राज्यसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट व देशभर के हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति और पेडिंग नामों को लेकर सवाल पूछा था. खड़गे की और से इस मामले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी सिफारिशों, लंबित सिफारिश और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर सवाल किया है. विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने इन सवालों के जवाब देते हुए ना केवल देशभर में जजों की वेकेंसी बल्कि पिछले 5 साल में हाईकोर्ट की सिफारिशों का वापस भेजे जाने का भी ब्यौरा पेश किया है.
हाईकोर्ट में 330 पद रिक्त
मल्लिकार्जुन खड़गे के सवाल का जवाब पेश करते हुए विधि मंत्री ने सदन को बताया कि देशभर की सर्वोच्च अदालत में स्वीकृत जजो के 34 पदों पर 27 जज कार्यरत है और 7 पद रिक्त है. इसी तरह देशभर के 25 हाईकोर्ट में स्वीकृत जजो के 1108 पदों पर 778 जज कार्यरत है और 330 जजों के पद रिक्त है.
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146 नाम पाइपलाइन में
विधि मंत्री के जवाब के अनुसार 5 दिसंबर तक हाई कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी कुल 146 नामों की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट से लेकर केन्द्र सरकार के पास पेंडिंग है. जिसमें सर्वाधिक इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 नाम, राजस्थान —मद्रास हाईकोर्ट के 18—18 नाम, बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 और गुजरात हाईकोर्ट के 11 नाम पेंडिंग है.
केन्द्र के पास लंबित 22 सिफारिशें
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए भेजी गयी जस्टिस दीपांकर दत्ता की सिफारिश सहित विभिन्न हाईकोर्ट के लिए भेजे गए कुल 22 नामों की सिफारिशें पेंडिंग है. हाईकोर्ट की 21 सिफारिशों में विभिन्न हाईकोर्ट में नियुक्त होने वाले जजों के 8 नाम, 11 हाईकोर्ट जजों के तबादले की सिफारिश, उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश और जस्टिस जसवंत को उड़ीसा मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश भी शामिल है.
5 साल में 256 नाम भेजे वापस
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा देशभर के हाई कोर्ट द्वारा भेजे गये प्रस्तावों को वापस हाईकोर्ट को भेजे जाने की भी जानकारी दी है. विधि मंत्री के अनुसार पिछले 5 साल में कुल 256 प्रस्तावों को वापस हाईकोर्ट को भेजा गया है. विधि मंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि ये सभी नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अनुशंसा के बाद भेजे गए है.