Goods Without Pre-Deposit : Delhi High Court ने पैनल्टी जमा कराए बगैर गरीब दिहाड़ी मजदूरों की अपील को किया स्वीकार
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वूपर्ण आदेश में Customs Act की धारा 129E की संवैधानिक शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका में गरीब दिहाड़ी मजदूरो की अपील को स्वीकार किया है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से जब्त किए गए माल पर धारा 129E के तहत Pre-Deposit शुल्क को जमा कराए बगैर COMMISSIONER APPEALS CUSTOMS AND CENTRAL EXCISE को उसकी अपील पर सुनवाई के आदेश दिए है.
Justice Rajiv Shakdher और Justice Tara Vitasta Ganju ने इस महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि क़ानून कभी-कभी अपील दायर करने की आवश्यकता के रूप में शर्तें लगा सकता है, लेकिन जो शर्त अनावश्यक रूप से कठिन होने पर एक व्यक्ति के अपील करने के अधिकार को शून्य कर देती है.
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर याचिकाकर्ता से 6.36 करोड़ का 120 किलोग्राम अगरवुड चिप्स और 4.5 किलोग्राम अगरवुड तेल जब्त किया गया था.
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7 प्रतिशत Pre-Deposit राशि की शर्त
सीमा शुल्क अधिकारियों ने इस मामले में Customs Act की धारा 129E के तहत कुल राशि का 7 प्रतिशत Pre-Deposit राशि जमा कराये जाने के बाद ही अपील पर सुनवाई तय की. Customs Act की धारा 129E के अनुसार जब्त किए गए माल से जुड़े मामले में विभाग के समक्ष अपील दायर करने से पूर्व पूर्व माल की कुल राशि का 7.5% राशि जमा कराना अनिवार्य है.
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता मोहम्मद अकरमुद्दीन अहमद व अन्य की ओर से अधिवक्ता रिया सोनी ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, इस्लाम नगर, होजई, असम में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता कृषि के माध्यम से और थोड़ी मात्रा में अगरवुड बेचकर अपनी आजीविका कमाते हैं. याचिका में कहा गया कि एयरपोर्ट पर सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए सामान उनके द्वारा खरीदे गए थे, और बिल कारण बताओ नोटिस के जवाब में संलग्न किए गए थे.
अधिवक्ता रिया सोनी ने अदालत से कहा कि जब्त किए गए सामानों का गलत तरीके से बहुत अधिक बाजार मूल्य पर मूल्यांकन किया गया था, और जुर्माना माल के गलत मूल्यांकन के आधार पर लगाया गया है. जिसे याचिकाकर्ता नही भुगतान कर सकता.
अधिवक्ता ने Customs Act की धारा 129E की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा कि एक गरीब अपीलकर्ता को इस धारा के प्रावधान के चलते अपील के अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है, क्योंकि वे आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं और इसलिए उन पर लगाए गए जुर्माने को चुनौती देने के लिए अनिवार्य Pre-Deposit राशि का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
प्रतिबंधित नहीं अगरवुड चिप्स और तेल
याचिका में कहा गया कि अगरवुड चिप्स और अगरवुड तेल की खेती की जाने वाली किस्मों का निर्यात मुफ्त है और प्रतिबंधित नहीं है.
याचिका के विरोध में COMMISSIONER APPEALS CUSTOMS AND CENTRAL EXCISE ने अदालत से कहा कि अगरवुड एक लुप्तप्राय प्रजाति है और वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन के परिशिष्ट II के तहत कवर किया गया है.
विभाग ने कहा कि उनके अधिकारियों ने 20 सितंबर 2019 की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर भरोसा किया, जो वन्यजीव निरीक्षक द्वारा दी गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब्त की गई प्रजातियां CITES के परिशिष्ट II में शामिल हैं, और अगरवुड की प्रजातियों का निर्यात प्रतिबंधित है.
दस्तावेज रिकॉर्ड पर नहीं
विभाग के विरोध के जवाब में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के पास पूर्व-जमा करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं, जैसा कि सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 129ई के तहत आवश्यक है.
दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विभाग ने अगरवुड चिप्स और अगरवुड ऑयल के मूल्य या मूल्य के समर्थन में कोई दस्तावेज रिकॉर्ड पर नहीं रखा है.
अदालत ने कहा कि वन्यजीव निरीक्षक की रिपोर्ट में भी कीमत का उल्लेख नहीं किया गया है औ स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि अलग-अलग ग्रेड के अगरवुड चिप्स जब्त किए गए थे.
अवसर दिया जाना चाहिए
अदालत ने कहा कि जब्त किए गए सामानों का मूल्यांकन भी असम सरकार की अगरवुड नीति में निर्धारित कीमतों के संदर्भ में नहीं है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर लगाया गया जुर्माना अनंतिम मूल्यांकन के आधार पर लगाया गया है और उसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है.
Justice Rajiv Shakdher और Justice Tara Vitasta Ganju ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति और साधनों को देखते हुए, उन्हें COMMISSIONER APPEALS CUSTOMS AND CENTRAL EXCISE द्वारा लगाए गए मूल्यांकन या जुर्मान के खिलाफ अपील दायर करने का अवसर दिया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा कि अगर गरीब दिहाड़ी मजदूरों को जो कि आर्थिक रूप से कमजारे है को अगर यह अवसर नहीं दिया जाता है तो वे अपने मामले में ही चुनौती नही दे पायेंगे.
हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता से जब्त किए गए माल पर धारा 129E के तहत Pre-Deposit शुल्क को जमा कराए बगैर COMMISSIONER APPEALS CUSTOMS AND CENTRAL EXCISE को उसकी अपील पर सुनवाई के आदेश दिए है.