अपराधी को शरण देना या छुपाना है अपराध, होगी 5 साल तक की जेल की सजा
कहते हैं गुनाह करने वाले से भी बड़ा गुनहगार होता है उस गुनाह को छिपाने वाले. कानूनी रूप से इसे एक अपराध माना जाता है. हमारे देश में इसे लेकर भारी सजा का भी प्रावधान है.
Written By My Lord Team | Published : January 11, 2023 6:02 AM IST
नई दिल्ली: हमारे देश के कानून निर्माताओं ने अपराध को नियत्रिंत करने और अपराधियों को हतोत्साहित करने के लिए कई कानूनी प्रावधान किए है. ना केवल अपराध करने वाले अपराधी को बल्कि अपराधी को शरण देने या अपराध को छुपाने पर भी कानून में सख्त प्रावधान किए गए है.
यदि आप किसी व्यक्ति को यह जानते हुए कि उसने कोई अपराध किया है फिर भी शरण देते हैं या छुपाते हैं तो आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इसके संबंध में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में क्या प्रावधान किए गए हैं.
Advertisement
IPC की धारा 212
इस धारा के मुताबिक जो कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कानूनी दंड से बचाने के इरादे से और यह जानते हुए या ऐसा विश्वास रखते हुए कि उस व्यक्ति द्वारा किसी अपराध को अंजाम दिया गया, उसे शरण देता है या छुपाता है तो ऐसे व्यक्ति को कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है.
हालाँकि धारा 212 का एक अपवाद (Exception) भी है, जिसके अनुसार यह प्रावधान किसी भी ऐसे मामले में लागू नहीं होगा जिसमें अपराधी के पति या पत्नी द्वारा उसे शरण दी गई है या छिपाया गया है.
Advertisement
आरोपी जिसे बचाने की कोशिश की जा रही है, उसके द्वारा अंजाम दिए गए अपराध को ध्यान में रखते हुए धारा 212 के तहत दी जाने वाली सज़ा को 3 भाग में बांटा गया है.
सजा का प्रावधान
यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो— इस स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए उसे शरण देता या छुपाता है तो उसे 5 वर्ष के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है।
यदि अपराध आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय हो— इस स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए उसे शरण देता या छुपाता है तो उसे 3 वर्ष के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है।
यदि अपराध दस वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो— इस स्तिथि में जो व्यक्ति आरोपी को बचाने के लिए उसे शरण देता या छुपाता है तो उसे अपराध के लिए उपबंधित कारावास की अवधि की एक-चौथाई अवधि के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
जमानती अपराध
यह एक जमानती और संज्ञेय [अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है] अपराध है। इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.
तो इस तरह से भारत में अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ, अपराधी की मदद करने वाले और उसको शरण देने वाले व्यक्ति को भी कार्यवाही और सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है.