Advertisement

अपराध के संबंध में झूठी सूचना देना भी हैं अपराध, जानिए IPC की धारा 203 का प्रावधान

यह एक जमानती और असंज्ञेय अपराध है जिसमें अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : January 3, 2023 8:39 AM IST

भारतीय आपराधिक कानून के अनुसार न केवल अपराध करने वाले व्यक्ति को सज़ा दी जाती है बल्कि अपराधी की मदद करने वाले व्यक्ति को भी सज़ा दी जाती है।

इसी संबंध में धारा 203, ऐसे व्यक्ति को सज़ा देने का प्रावधान बनाती है, जो अपराध के बारे में जानता है और अपराध के संबंध में गलत जानकारी देता है, चाहे वह कानूनी रूप से ऐसी जानकारी देने के लिए बाध्य हो या नहीं.

Advertisement

क्या है धारा 203

भारतीय दंड संहिता IPC की धारा 203 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह जानता है कि या उसके पास विश्वास करने का कारण है कि कोई अपराध किया गया है और वह उस अपराध से जुड़ी गलत/झूठी सूचना देता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है.

Also Read

More News

दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को दो साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है।

Advertisement

उदहारण के तौर, यदि कोई व्यक्ति पुलिस को सूचना देता है कि उसकी गाड़ी और गाड़ी में रखे आभूषण चोरी हुए हैं, लेकिन असल में केवल गाड़ी ही चोरी हुई थी तो ऐसे व्यक्ति को आभूषण कि चोरी के संबंध में झूठी जानकारी देने के लिए धारा 203 अंतर्गत सज़ा दी जा सकती है.

इस अपराध के मुख्य रूप से 3 तत्व हैं

आरोपी जिसके खिलाफ धारा 203 के तहत मुकदमा दर्ज़ किया गया है, उसे यह पता होना चाहिए या कारण होना चाहिए कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया गया है।

आरोपी व्यक्ति ने उस अपराध के बारे में झूठी जानकारी दी है।

आरोपी व्यक्ति को यह पता था कि जो जानकारी वह दे रहा है, वह झूठी अथवा गलत है.

अपराध की श्रेणी

यह एक जमानती और असंज्ञेय अपराध है जिसमें अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.