लेडी जस्टिस में बदलाव, लाइव हियरिंग... पूर्व CJI DY Chandrachud की देन, जानें उनके कार्यकाल के दौरान SC में क्या-क्या बदलाव हुए
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Former CJI DY Chandrachud) बीते दिन ही CJI के तौर पर रिटायर हुए. उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के तौर वर्तमान सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. सीजेआई के तौर पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्ष के लिए रहा और इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में कई सारे बदलाव किए जिसमें सुप्रीम कोर्ट की हियरिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत देना, लेडी जस्टिस की प्रतिमा में बदलाव करना और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य द्वार पर जस्टिस क्लॉक लगाना उनके बेहद चर्चित बदलाव में से एक है. इस लेख का मुख्य फोकस भी इस बात पर रहेगा कि CJI रहते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान क्या-क्या महत्वपूर्ण बदलाव हुए...
लेडी जस्टिस की प्रतिमा में बदलाव
न्याय की देवी (Lady Justice) की प्रतिमा में बदलाव की घटना पर ध्यान जाने के बाद इसकी खूब चर्चा हुई. न्याय की देवी की यह प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट जजेस लाइब्रेरी में लगाई गई है. प्रतिमा में बदलावों पर गौर करें तो न्याय की देवी की आंखों से काली पट्टी हटा दी गई है. दूसरा बदलाव, दाएं हाथ में तलवार की जगह 'संविधान की पुस्तक' लाना है.
सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही की लाइव हियरिंग
कोर्ट हियरिंग की लाइव स्ट्रीमिंग (Court hearing Live Streaming) सीजेआई रहते डीवाई चंद्रचूड़ का ये फैसला न्यायिक व्यवस्था में लोगों के भरोसा को और मजबूत करने की पहल है. साथ ही उन तमाम आशंकाओं को कुंध करेगी, जो किसी मामले में जजों के पूर्वाग्रह से प्रेरित (Biased) होने को लेकर लगाए जाते हैं. लाइव हियरिंग ( की सुगम सुविधा देना ना केवल लोगों को बल्कि कानून के छात्रों को कोर्टरूम बिहेवियर, तर्क व जिरह करने की कला सीखने में मदद करेगी. यह भी पता चलेगा कि कैसे किसी घटना से सुप्रीम कोर्ट मुकदमे को तैयार करती है.
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जस्टिस क्लॉक की स्थापना
सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के मुख्य द्वार पर जस्टिस क्लॉक लगा है. यह घड़ी समय नहीं बल्कि अदालत में लंबित मामलों की जानकारी देता है. जस्टिस क्लॉक आपको बताएगा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई कितना दिन पुराना है.
अब SC पत्रकारों को कानूनी डिग्री की जरूरत नहीं!
सीजेआई के तौर पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिवाली की छुट्टी से पहले पत्रकारों को बड़ी राहत दी थी. पूर्व सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट पत्रकार बनने के लिए दो साल की कानूनी डिग्री की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है. बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट से जुड़े पत्रकारों के लिए यह नियम बनाया था.