Privacy को मौलिक अधिकार बनाने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जज केएस पुट्टस्वामी का 98 साल की उम्र में निधन
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएस पुट्टस्वामी का सोमवार को बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 98 वर्ष के थे. पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एस पुट्टस्वामी ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. जस्टिस पुट्टस्वामी मुख्य याचिकाकर्ता थे, जिन्होंने 2012 में आधार योजना को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. आधार योजना को बाद में विधायी स्वीकृति मिली.
निजता का अधिकार 'मौलिक'
अगस्त 2017 में एक ऐतिहासिक फैसले में, नौ न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के तहत एक मौलिक अधिकार है. उसने निजता को मानवीय गरिमा का संवैधानिक मूल’ बताया था. आठ फरवरी, 1926 को जन्मे पुट्टस्वामी ने मैसूर के महाराजा कॉलेज में पढ़ाई की और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बेंगलुरु से कानून की डिग्री हासिल की। जनवरी 1952 में वह वकील के रूप में पंजीकृत हुए और 28 नवंबर, 1977 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने.
(खबर PTI इनपुट के आधार पर लिखी गई है).
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