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दिल्ली मेट्रो और अरविंद टेक्नों के 20 करोड़ के विवाद में पूर्व CJI NV Ramana बनेंगे मध्यस्थ, Delhi HC ने किया Sole Arbitrator नियुक्त

दिल्ली मेट्रो के जौहरी एनक्लेव और शिव विहार मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए DMRCL और Arvind Techno Globe के बीच कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट किया गया था.Arvind Techno द्वारा कार्य की समय सीमा के भी करीब 27 माह बाद कार्य पूर्ण करते हुए 20 करोड़ का दावा किया गया था.

Written By Nizam Kantaliya | Published : March 9, 2023 11:02 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को अरविंद टेक्नो ग्लोब और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच करीब 20 करोड़ के विवाद के मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया है.

पूर्व सीजेआई रमन्ना वर्ष 2013 में अरविंद टेक्नो ग्लोब और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए एक अनुबंध के विवाद में मध्यस्तता करेंगे.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश अरविंद टेक्नो ग्लोग द्वारा दिल्ली मेट्रो कॉर्पोरेशन की ओर से मध्यस्तता के लिए उपलब्ध कराए गए नामों पर आपत्ति जताए जाने के बाद दिया गया है.

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जस्टिस चन्द्रधारी सिंह ने पूर्व सीजेआई को मध्यस्थ नियुक्त करते हुए दोनो ही पार्टियों को 10 दिन के भीतर उनके समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिए है.

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2 मेट्रो स्टेशन का कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट

22 जुलाई, 2013 को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अरविंद टेक्नो ग्लोब के बीच एक करार हुआ. इस करार के अनुसार अरविंद टेक्नो ग्लोब को दिल्ली मेट्रो के जौहरी एनक्लेव और शिव विहार मेट्रो स्टेशन की डिजाइन, स्टेशन पर पानी की सप्लाई, सैनिटरी सुविधाए,आर्किटेक्चरल फिनिशिंग और जल निकासी का कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट दिया गया.

करार के अनुसार अरविंद टेक्नो को यह कार्य पूरा करने के लिए आपसी सहमति से दी गई सीमा 19 मई, 2015 थी. कई कारणों से इस परियोजना में 27 महीने की देरी हुई और अरविंद टेक्नो ने इस कार्य को 30 अक्टूबर, 2018 को पूर्ण किया.

कार्य पूर्ण होने के बाद अरविंद टेक्नो को दिल्ली मेट्रो की ओर से 25 फरवरी, 2020 को performance certificate जारी किया गया.

समझौते का माध्यम

कार्य पूर्ण होने पर अरविंद टेक्नों ने दिल्ली मेट्रो से 20.64 करोड़ से अधिक के भुगतान का अनुरोध किया गया. लेकिन कार्य में हुई देरी व अन्य कारणों से दिल्ली मेट्रो द्वारा भुगतान जारी नहीं किया गया.

अरविंद टेक्नो ग्लोब ने प्रोजेक्ट में हुई देरी के लिए दिल्ली मेट्रो की गलती, देरी के लिए कई तरह के बहानों को जिम्मेदार बताया गया.

​शुरू में दोनो पक्षो ने सुलह के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया, लेकिन बाद में सुलह प्रक्रिया उचित समय के भीतर पूरी नहीं होने के बाद मध्यस्थता के माध्यम अपनाया गया.

एकमात्र स्वतंत्र मध्यस्थ

इस मामले में DMRCL की ओर से सुझाए गए मध्यस्थों के नाम पर अरविंद टेक्नो ने यह कहते आपत्ति जताई कि DMRCL ने उन व्यक्तियों के नाम प्रस्तावित किए थे जो या तो नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) या इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ़ इंजीनियर्स (IRSE) से थे.

मामले में स्वतंत मध्यस्थ नियुक्त करने में भी विवाद होने पर अ​रविंद टेक्नो ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया.अरविंद टेक्नो की याचिका पर सुनवाई करते हुए अब हाईकोर्ट ने देश के पूर्व सीजेआई रमन्ना को इस मामले का स्वतंत्र एकमात्र मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया है.