Advertisement

पिता ने किया अपनी नाबालिग बेटी का Rape, Bombay HC ने आजीवन कारावास की सजा को रखा बरकरार

Bombay High Court Upholds Special Court Life Imprisonment Decision

याचिकाकर्ता ने स्पेशल कोर्ट के उनके खिलाफ जारी निर्देश को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसे अदालत ने खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा के ऑर्डर को अपहोल्ड किया। याचिकाकर्ता को यह सजा अपनी नाबालिग बेटी का बलात्कार करने हेतु सुनाई गई थी...

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 24, 2023 1:31 PM IST

नई दिल्ली: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में याचिकाकर्ता ने स्पेशल कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ दिए आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। बता दें कि स्पेशल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपनी 12 साल की नाबालिग बेटी का बलात्कार (Rape) किया था और उनके खिलाफ शिकायत उनकी पत्नी और बच्ची की मां ने दर्ज की थी।

Advertisement

Bombay HC ने अपहोल्ड किया स्पेशल कोर्ट का फैसला

बंबई उच्च न्यायले की औरंगाबाद पीठ (Aurangabad Bench) की न्यायाधीश विभा कनकनवाड़ी (Justice Vibha Kankanwadi) और न्यायाधीश अभय वाघवासे (Justice Abhay Waghwase) की खंडपीठ ने एक शख्स की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपने खिलाफ स्पेशल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को चुनौती दी थी।

Also Read

More News

बता दें कि मामला रेप का था और 54-वर्षीय याचिकाकर्ता पर आरोप थे कि उन्होंने अपनी 12-साल की बेटी का बलात्कार किया है। याचिकाकर्ता का यह कहना है कि क्योंकि उन्हें अपनी पत्नी के एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर के बारे में पता चल गया, उनकी पत्नी ने बेटी के साथ जबरदस्ती करके उन्हें एक गलत रेप केस में फंसा दिया।

Advertisement

इसपर बंबई उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) पीड़िता बेटी की मां द्वारा किसी झूठ के आधार पर नहीं दर्ज की गई है और इसलिए अदालत ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को अपहोल्ड करते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया।

जानें क्या था पूरा मामला

बता दें कि 11 अक्टूबर, 2014 को याचिकाकर्ता का अपनी पत्नी के साथ झगड़ा हो गया जिसके बाद वो पीड़िता और उसके भाई-बहन को लेकर अपने पैतृक स्थान पर चले गए। रास्ते में, नशे की हालत में वो तीनों बच्चों को एक खेत में लेकर गए और वहां अपनी नाबालिग बेटी के साथ रेप किया।

अगले दिन बच्चों के जिद करने पर याचिकाकर्ता उन्हें अपनी मां के पास वापस ले गए लेकिन वो उस समय गर पर नहीं थी। पीड़िता फिर स्कूल चली गई और वापस आने के बाद उसने अपनी मां को सारी बात बताई।

इसपर बंबई उच्च न्यायालय का यह कहना है कि बच्ची ने यह बातें तब शेयर की जब उसे सुरक्षित माहौल मिला; यह माहौल उसे अपनी मां की मौजूदगी में मिला और इसलिए उसने घटना का विवरण उन्हें दिया। अदालत के हिसाब से इसमें कुछ भी अप्राकृतिक नहीं है और इस तरह के मामलों में लड़कियों की मनःस्थिति समझना जरूरी है; इस तरह की स्थिति को किस तरह फेस करना है, यह इंसान के स्वभाव पर निर्भर कर्ता है।