Fastag के बिना दोगुने टोल वसूली पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस, जानिए कैसे काम करता है Fastag
नई दिल्ली: देशभर के हाईवे पर टोल वसूली के लिए FASTag के इस्तेमाल ने देश में एक नई क्रांति की शुरुआत की हैं. केन्द्र सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए बिना FASTag के टोल टैक्स का Cash में भुगतान करने पर वसूली जाने वाली राशि को दोगुना किया था.
अब इसी दोगुनी राशि को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केन्द्र सरकार, NATIONAL HIGHWAYS AUTHORITY OF INDIA को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में दोगुनी टोल वसूली को अवैध बताया गया है.
देश में अनिवार्य है FASTag
देश के नेशनल हाईवे पर चलने वाले वाहनों को हाईवे की सुविधा बदले सरकार को टोल टैक्स (Toll Tax) देना होता है. टोल टैक्स के चलते देश के हाईवे पर कई बार वाहनों की लंबी कतारें लग जाती थी और इससे कई शहरों में यातायात जाम की समस्या के रूप में एक नयी चुनौती खड़ी कर दी.
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इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने देश में टोल टैक्स वसूली के लिए एक नई प्रणाली की शुरुआत की, जिसे FASTag नाम दिया गया. इसके जरिए देश के सभी हाईवे पर वाहनों को बिना रोके टोल टैक्स वसूल किया जाने लगा. वाहन मालिकों को इस प्रयोग करने के लिए बाध्य करने के लिए 15 फरवरी 2021 की आधी रात से ही फास्टैग को पूरे देश में अनिवार्य कर दिया गया.
शुरुआत में कैश और Fastag के जरिए एक ही राशि पर टैक्स वसूला जाता था, लेकिन केंद्र द्वारा इसे अनिवार्य किए जाने के बाद फास्टैग नहीं होने पर दोगुना राशि वसूलने का प्रावधान किया गया.
क्या हैं FASTag
FASTag एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जिसे हमारी गाड़ियों की विंडसीट पर लगाया जाता है. हाईवे पर टोल का भुगतान करने के लिए यदि हमारे पास फास्टैग नहीं है तो हम इसे कैश (Cash) देकर चुका सकते है, लेकिन इसके लिए हमें दोगुनी राशि देनी पड़ती है. देश के सभी हाईवे पर मौजूद टोल बुथ प्लाजा पर आज भी FASTag के साथ साथ Cash लाइन भी होती है.
यह योजना (IHML)इंडियन हाईवे मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा लागू की गयी थी, इसके पीछे पेमेंट सिस्टम नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) है और इसे NPCI द्वारा संचालित किया जा रहा है.
कैसे काम करता है फास्टैग
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो रेडियो फ्रिक्वेन्सी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक पर काम करता है. Fastag एक ऐसा टैग है जो की सभी गाड़ी के विंड स्क्रीन पर लगा होता है. जो कि आपके बैंक अकाउंट या UPI से जुड़ा होता है. साथ ही इसके जरिए जब आप टोल बूथ पर रुकते है तो बेहद कम समय में टोल टैक्स आपके खाते से लेकर सरकारी खातों में ट्रांसफर कर देता है.
Fastag के उद्देश्य
Fastag का मूल उद्देश्य देश की सड़कों पर आए दिन लगने वाले जाम से निजात दिलाना है. देश के महानगरों के बाहरी क्षेत्रों में व्यावसायिक वाहनों के चलते अक्सर जाम लगता था. कई बार ये जाम घंटों से बढ़कर एक से दो दिन तक रहता था. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, मद्रास जैसे महानगरीय शहरों में स्थिति लगातार बदतर होती जा रही थी.
जाम के चलते करोड़ों लीटर ईंधन जलने से होने वाला प्रदूषण, आर्थिक नूकसान और उसकी वजह से वस्तुओं बढ़ती कीमतों को रोकना था.
Fastag ने देश में ना केवल यातायात को सुगम बना दिया है बल्कि यात्रा में लगने वाले समय को भी बेहद कम कर दिया है. सड़कों को होने वाले नुकसान से लेकर प्रकृति को होने वाले नुकसान से भी बचाया.
Fastag से जुड़ा ये नियम भी
हाईवे पर Fastag को अनिवार्य किए जाने के साथ ही भारत सरकार ने एक ऐसा नियम भी बनाया है जिसकी जानकारी अधिकारी बेहद कम लोगो को है.
नियम के अनुसार किसी भी टोल बूथ पर Fastag सर्विस टाइम में 10 सेकंड से अधिक समय लगने पर आपको रोककर नहीं रखा जा सकता.
अगर किसी टोल बूथ पर Fastag से टोल वसूली के चलते वाहनों की 100 मीटर से ज्यादा लंबी लाइन हो जाती है तो ऐसे में टोल खोल दिया जाएगा और ऐसी स्थिति में आपसे किसी भी तरह का टोल नहीं वसूला जाएगा.