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Fake news लोकतंत्र को नष्ट कर सकती है, fact check mechanism की जरूरत: CJI DY Chandrachud

मीडिया की आजादी का पक्ष रखते हुए सीजेआई ने कहा कि जब प्रेस को अपना काम करने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता हो जाता है. इसलिए प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए और एक पत्रकार के तौर-तरीकों से असहमति नफरत या हिंसा में नहीं बदलनी चाहिए.

Written By Nizam Kantaliya | Published : March 23, 2023 4:58 AM IST

नई दिल्ली: CJI DY Chandrachud ने देश में बढते फर्जी खबरों के खतरे को लेकर चिंता जताई है. CJI ने कहा है कि Fake news लोकतंत्र को नष्ट कर सकती है और बेहतर fact check mechanism की जरूरत है.

CJI DY Chandrachud ने कहा कि Fake news समुदायों के बीच दरार पैदा कर सकती है और लोकतंत्र को नष्ट करने की क्षमता रखती है.  CJI ने कहा कि "फर्जी खबरें समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकती हैं और सच और झूठ के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. उन्होने कहा कि लोकतकंत्र फर्जी खबरों को समाप्त नहीं करने पर उनमें परेशान करने की क्षमता होती है.

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CJI DY Chandrachud बुधवार को Ramnath Goenka Excellence in Journalism Awards 2023 के समारोह को संबोधित कर रहे थे.

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मीडिया ट्रायल

CJI ने देश में अपराधिक मामलों में बढती मीडिया ट्रायल के बारे में कहा कि मीडिया अदालतों से पहले ही एक अभियुक्त को दोषी घोषित कर देता है.

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CJI ने कहा "मीडिया का काम है कि वह मासूमों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना जनता तक जानकारी पहुंचाए. जिम्मेदार पत्रकारिता सच्चाई की किरण है और यह लोकतंत्र को आगे बढ़ाती है. जैसा कि हम डिजिटल युग की चुनौतियों का सामना करते हैं, पत्रकारों को सटीकता, निष्पक्षता बनाए रखनी होगी और उनकी रिपोर्टिंग में निडरता होनी चाहिए.

CJI ने कहा कि देश के मीडिया प्लेटफार्मों की लंबी उम्र के लिए आवश्यक है कि समाचार कक्ष को समाचारों की विविध श्रेणी को बढावा देना चाहिए.

आजादी जरूरी

मीडिया की आजादी का पक्ष रखते हुए सीजेआई ने कहा कि जब प्रेस को अपना काम करने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता हो जाता है. इसलिए प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए और एक पत्रकार के तौर-तरीकों से असहमति नफरत या हिंसा में नहीं बदलनी चाहिए.

"कई पत्रकार कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं लेकिन फिर भी अपने काम में बेधड़क हैं. नागरिकों के रूप में हम पत्रकारों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया से सहमत नहीं हो सकते हैं। मैं खुद कभी-कभी सहमत नहीं होता, लेकिन यह असहमति नफरत और फिर हिंसा का रूप नहीं ले सकती.

चुनिंदा फैसलों और भाषण की कवरेज

समारोह को संबोधित करते हुए CJI ने पत्रकारों द्वारा अदालत के चुनिंदा फैसलो और जजों के भाषणों की कवरेज करने पर भी सवाल खड़ा किया.

उन्होने कहा कि देश में कानूनी पत्रकारिता में रुचि बढ़ रही है और कानूनी पत्रकार न्याय प्रणाली के कहानीकार हैं, जो कानून की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हैं.

CJI ने कहा हालांकि, हमारे देश में पत्रकारों द्वारा जजों के चुनिंदा फैसलो और भाषणों की कवरेज करना चिंता का विषय बन जाता है.उन्होने कहा कि इस प्रथा में कानूनी मुद्दों की सार्वजनिक समझ को विकृत करने की प्रवृत्ति है. जजों के निर्णय अक्सर जटिल और बारीक होते हैं, और चयनात्मक उद्धरण यह धारणा दे सकता है कि एक फैसला न्यायाधीश के इरादे से पूरी तरह अलग है.

CJI ने कहा कि पत्रकारों के लिए जरूरी है कि वे एकतरफा नजरिया पेश करने और निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग करने के बजाय घटना की पूरी तस्वीर पेश करें.

CJI ने कहा कि यह कानूनी मामलों की जनता की समझ को संभावित रूप से भ्रमित कर सकता है, क्योंकि जजों के फैसलों में अक्सर सूक्ष्मताएं और जटिलताएं शामिल होती हैं.