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Fake Birth Certificate: पत्नी, बेटे सहित आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत, ऐसे में सवाल है कि क्या वे जेल से बाहर आ पाएंगे?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री आजम खान को उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फेक बर्थ सर्टिफिकेट मामले में जमानत दी है.

फेक बर्थ सर्टफिकेट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.

Written By Satyam Kumar | Updated : May 24, 2024 4:36 PM IST

Fake Birth Certificate Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री आजम खान को उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फेक बर्थ सर्टिफिकेट मामले में जमानत दी है. अदालत ने आजम खान की सजा पर तो रोक लगाई है, लेकिन उनकी पत्नी और बेटे की सजा को बरकरार रखा है. बता दें कि तीनों आरोपी को फेक बर्थ सर्टिफिकेट मामले में सेशन कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी आजम खान और उनके बेटे जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. बाहर आने के लिए उन्हें अन्य दो मामलों में जमानत लेनी पड़ेगी. जमानत मिलने के बाद आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा जेल से बाहर आ पाएंगी.

दो अन्य मामले कौन से है?

2019 में डूंगरपुर में घर तोड़ने और लूट के मामले में आजम खान की जमानत सेशन कोर्ट ने खारिज की है. उन्हें इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से ही जमानत लेनी पड़ेगी. इस मामले में भी रामपुर सेशन कोर्ट ने आजम खान को सात साल जेल की सजा सुनाई है.

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दूसरा मामला, जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है, जिसमें आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पर रामपुर नगर पालिका की सफाई मशीन जौहर यूनिवर्सिटी में रखने का आरोप लगा. इस मामले में भी सेशन कोर्ट ने रेगुलर बेल नहीं दी है. जमानत के लिए दोनों आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही जाना पडे़गा.

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आखिर फेक बर्थ सर्टिफिकेट मामला है क्या?

फेक सर्टिफिकेट का मामला अब्दुल्ला आजम के 2019 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से शुरू हुआ. अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ा, जीत हासिल भी की. जीत मिलने के बाद आरोप लगा कि अब्दुल्ला ने गलत प्रमाण -पत्र दिया है. बर्थ सर्टिफिकेट और दसवीं के मार्क्स सीट में दी गई जानकारी अलग-अलग है. एक में जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 है तो दूसरे में 30 जनवरी 1990 है. आरोप साबित हुए. जीत को रद्द किया गया. मुकदमा चला, सेशन कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है. इसी मामले में आजम परिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी है.

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