Fact Check Unit: बॉम्बे हाईकोर्ट ने केन्द्र के पक्ष में सुनाया फैसला, कहा- यह राजनीतिक व्यंग्यों, मतों और सटायर पर नहीं होता है लागू
Fact Check Unit: फैक्ट-चेक यूनिट की वैधता पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी. केन्द्र ने फैसला आने तक फैक्ट-चेक यूनिट से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी करने पर रोक लगाने की बात कहीं थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने केन्द्र के पक्ष में 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया है. फैसला आने के बाद अब केन्द्र फैक्ट-चेक यूनिट से जुड़ी अधिसूचना जारी कर सकती हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट में क्या हुआ?
पहले दो जजों, जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिलस नीला गोखले की डिवीजन बेंच ने मामले को सुना. डिवीजन बेंच किसी एक फैसले पर नहीं पहुंच पाई, जिसके बाद मामले को सिंगल-जज जस्टिस चंदूरकर के पास भेजा. मामले में शामिल हुए तीसरे जज ने अपना फैसला सुनाया है. फैसले में 2 जजों ने फैक्ट-चेक यूनिट जारी करने की बात कहीं है, वहीं एक जज इस पर रोक लगाने की बात कहीं है.
कोर्ट ने क्या पाया?
कोर्ट ने कहा कि फैक्ट-चेक यूनिट से किसी तरह से चिंतिंत होने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक व्यंग्यों, मतों और सटायर को केन्द्र के व्यावसाय से जोड़ कर देखने से इंकार कर किया. केन्द्र को फैक्ट चेक यूनिट से जुड़ी अधिसूचना जारी करने की अनुमति मिल गई है
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FCU को लेकर केन्द्र ने क्या कहा?
6 अप्रैल, 2023 के दिन भारत सरकार ने आईटी रूल्स में संशोधन किया. सोशल मीडिया इंटरमेडियरी को निर्देश दिए थे कि वे सरकार के जुड़े काम के संबंध में फर्जी, झूठी और भ्रामक जानकारी को शेयर करने पर रोक लगाए.
क्या है मामला?
नए आईटी रूल्स में झूठी, भ्रामक खबरों पर रोक लगाने फैक्ट चेक यूनिट बनाने की बात है. इस यूनिट के बनने से मीडिया सेंसरशिप की आशंकाएं पुन: जीवित हो गई है. इसे ही कुणाल कामरा ने चुनौती दिया है. कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कहा है कि व्यंंग्य का फैक्ट चेक नहीं किया जा सकता है. अगर केंद्र सरकार व्यंग्य की जांच करें, तो उसे भ्रामक बता कर सेंसर कर सकती है, जिससे राजनीतिक व्यंग्य का उद्देश्य पूरी तरह से असफल रहेगी.
वहीं, केन्द्र को इस नियम पर Notification जारी करने की अनुमति मिल गई हैं.