सरिया सीमेंट तक सर्टिफाइड है... हलाल प्रोडक्ट बैन करने के मामले में यूपी सरकार ने SC को बताया
यूपी में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों पर बैन का मामले पर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में आटे, बेसन से लेकर सरिया सीमेंट तक का भी सर्टिफिकेशन किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद महाराष्ट्र को केंद्र और यूपी सरकार को हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मार्च के आखिरी हफ्ते में करेगी.
हलाल प्रोडक्ट सर्टिफाइड करने में कंपनियां लाखों बना रही: SG
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने हलाल प्रोडक्ट बैन करने से जुड़े मामले को सुन रही है. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मै ये देखकर हैरान हूं कि सीमेंट,सरिया, आटा, बेसन, यहां तक कि पानी की बोतल सब हलाल सर्टिफाइड किया जाता है. सर्टिफिकेशन के सहारे हलाल सर्टिफिकेट देनेवाली कंपनियों ने लाख करोड़ रूपये तक कमाए हैं.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा,
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"हलाल मीट के संबंध में कोई आपत्ति नहीं हो सकती, लेकिन आपके लार्डशिप्स को यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि सीमेंट भी हलाल प्रमाणित होना चाहिए! सरिया (लोहे की छड़ें)... जो पानी की बोतलें हम लेते हैं, वे भी हलाल सर्टिफाइड होते हैं. साथ ही आटा, बेसन आदि को हलाल सर्टिफाइड किया जा रहा है, बेसन हलाल या नॉन हलाल कैसे हो सकता है."
सॉलिसिटर जनरल की दलीलों से आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट एमआर शमशाद ने केंद्र सरकार की नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हलाला की परिभाषा विस्तार से दी गई है और यह केवल मांसाहारी खाद्य पदार्थों से संबंधित नहीं है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नीति इसे जीवनशैली का मामला मानती है.
सीनियर एडवोकेट ने बताया कि कैसे शराब जैसे पदार्थों का उपयोग खाद्य उत्पादों में संरक्षक के रूप में किया जाता है, और कैसे कोयले की गैस को पानी के माध्यम से पारित करके चमकदार प्रभाव प्राप्त किया जाता है.
इसके बाद, सॉलिसिटर जनरल ने एक बड़े मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें पूछा गया कि जो इसे नहीं मानते हैं वे इन प्रोडक्ट के लिए पैसे क्यों चुकाए. हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि हाला-सर्टिफाइड उत्पादों का सेवन अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्तिगत विकल्प है.
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में 18 नवंबर 2023 को यूपी सरकार के फ़ूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. इस नोटिफिकेशन के तहत राज्य में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, स्टॉरेज,बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई थी. इसके इलावा इन याचिकाओं में हलाल सर्टिफिकेट जार करने वाली संस्थाओं पर दर्ज एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई है.