Advertisement

साइबर धोखाधड़ी में आधार में पता बदलने की आसान प्रक्रिया एक प्रमुख कारण: पुलिस

Cyber Crime के कई सुलाझाए गए मामलों में जांच अधिकारियों ने पाया है कि जालसाजों ने आधार डेटाबेस में अपने व्यक्तिगत विवरण को अपडेट करने के लिए फर्जी रबर स्टैंप और लोक अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया है.

Written By My Lord Team | Published : March 28, 2023 9:57 AM IST

नई दिल्ली: साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आधार कार्ड में पता बदलवाने की आसान प्रक्रिया साइबर धोखाधड़ी का एक सबसे बड़ा कारण है. आधार कार्ड धारक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) से कई तरीकों से अपना पता बदलवा सकता है.

साइबर अपराध के कई सुलाझाए गए मामलों में जांच अधिकारियों ने पाया है कि जालसाजों ने आधार डेटाबेस में अपने व्यक्तिगत विवरण को अपडेट करने के लिए फर्जी रबर स्टैंप और लोक अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया है.

Advertisement

कुछ मामलों में लोक प्राधिकारियों ने भी व्यक्तियों की जानकारी सत्यापित किए बिना लापरवाही से अपनी मोहर/स्टैंप और हस्ताक्षर प्रदान कर दिए.

Also Read

More News

जैसा कि आप जानते हैं कि UIDAI ही आधार कार्ड जारी करती है. इनमें से एक तरीका यह भी है कि व्यक्ति UIDAI की वेबसाइट से पता परिवर्तन प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकता है और इसे विभिन्न लोक अधिकारियों जैसे कि सांसद, विधायक, पार्षद, समूह "A" एवं समूह "B" के राजपत्रित अधिकारी और MBBS डॉक्टर से हस्ताक्षर कराकर इसे अपलोड कर सकता है.

Advertisement

एक जांच अधिकारी ने बताया कि "साइबर धोखाधड़ी मामले में हमने पाया कि एक विधायक ने आरोपी के पते में परिवर्तन के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके आधार पर उसने आधार डेटाबेस में अपना पता बदलवा लिया. आगे जांच करने पर पता चला कि विधायक ने अपने कार्यालय के एक कर्मी को इस तरह के प्रमाण-पत्रों पर मुहर लगाने और उसके हस्ताक्षर का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया था."

मार्च 2022 में निरीक्षक खेमेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस के मध्य जिले के साइबर थाने की जांच टीम ने एक मामले का पर्दाफाश किया, जिसमें दो नाइजीरियाई नागरिकों सहित छह लोग खुद को अनिवासी भारतीय (NRI) दुल्हे के तौर पर पेशकर युवतियों को ठगा करते थे.

जांच के दौरान टीम को यह पता चला कि आरोपियों ने एक डॉक्टर की मदद से अपने आधार डेटाबेस में पता बदलवाया था जिसने सिर्फ 500 रुपये में पता बदलने संबंधी उनके प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कर दिया.

दिल्ली पुलिस के Intelligence Fusion and Strategic Operations’ (IFSO) के उपायुक्त प्रशांत गौतम ने कहा, "साइबर अपराधी अपना पता बदलते हैं और कुछ मामलों में तो वे अपने आधार डेटाबेस में कई बार अपना पता बदलते हैं और पीड़ितों के खातों से पैसे हस्तांतरित करने के लिए अलग-अलग बैंकों में कई खाते खुलवाते हैं."

अधिकारी ने कहा कि पुलिस के पास आधार डेटा तक पहुंच नहीं है, इसलिए हमें प्रत्येक मामले में आरोपी के मूल विवरण का पता लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, जिससे देरी होती है और हमारा काम जटिल हो जाता है.

जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि UIDAI की वेबसाइट पर अपलोड की गई व्यक्तियों की बदली हुई जानकारी को पुनर्सत्यापन करने का कोई तरीका नहीं है.