EVM-VVPAT Row:'हर चीज पर संदेह ठीक नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को टोका, फैसला रिजर्व
सुप्रीम कोर्ट ने शत-प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम-वीवीपैट को संदेह के करने से मना किया है. ADR की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण को सलाह दिया कि हर चीज पर संदेह करना ठीक नहीं है. वहीं सुनवाई के दौरान विदेशों से तुलना करने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन भ्रमो से बाहर आएं, ऐसा मत सोचे कि विदेशों में व्यवस्था भारत से ज्यादा एडवांस हैं.
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ईवीएम-वीवीपैट के शत प्रतिशत मिलान कराने वाली कई याचिकाओं को सुना और मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
कोर्टरूम लाइव: डिवीजन बेंच ने सुरक्षित रखा फैसला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की डिवीजन बेंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की. बेंच ने ईवीएम-वीवीपैट को लेकर कहा, हर चीज को संदेह के नजरिए से देखना ठीक नहीं है. बेंच नेप्रशांत भूषण को टोकते हुए कहा, अगर कोई बदलाव कानूनी तरीके से की जा रही है, तो उसे हर बार आपको बताने की जरूरत नहीं है.
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बेंच ने कहा,
"यदि कोई स्पष्टीकरण दिया गया है, तो आपको इसकी सराहना करनी चाहिए. श्री भूषण, किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है..यदि कुछ वैध सुधार लाया जा रहा है तो वे आपको क्यों समझाएं! बल्ब लगाना है या नहीं या चमक आदि का निर्णय उन्हें करना है"
प्रशांत भूषण ने प्रतिक्रिया में मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए कहा, इस मामले में मौलिक अधिकारों के प्रश्न भी छिपे हैं.
बेंच ने आगे कहा,
"हम इस पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि यह मौलिक अधिकार है लेकिन अति-संदेह यहां काम नहीं कर रहा है."
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं से नाराजगी जताई. एजी ने कहा, लगातार याचिका दायर करना ईवीएम पर सवाल उठाना मतदाताओं के लोकतांत्रिक मूल्यों का उपहास उड़ाना है.
ईवीएम-वीवीपैट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई है. इन याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण, शंकर हेगड़े, प्रशांत भूषण और निजाम पाशा पेश हुए.
हालांकि सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने स्पष्ट किया, कि वे सिर्फ व्यवस्था से जुड़े शक को उजागर कर रहे थे ना कि चुनाव आयोग पर आरोप. हालांकि आगे सुनवाई में ईवीएम-वीवीपैट के कार्य, बनावट, खराब तरीके से कार्य करने के विषय पर चर्चा हुई.
मतदाताओं की गोपनीयता जरूरी
वकील निजमा पाशा ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ताओं के वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को स्वीकार करने से मतदाता गोपनीयता से समझौता नहीं किया जाएगा.
हालांकि निजाम पाशा ने मतदाताओं द्वारा जिस प्रत्याशी को वोट दिया गया है, उसे वोट मिला या नहीं! ये जानने का अधिकार है
निजाम पाशा ने कहा,
"यह जानने का मौलिक अधिकार कि वोट किसे दिया गया, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का अधिकार, आदि... ये सभी मतदाताओं के अधिकार हैं और यह किसी और को प्रभावित नहीं करता है."
बेंच ने स्पष्ट किया,
"कुछ अपवादों के आधार पर सभी मौलिक अधिकारों पर सवाल उठाए जा सकते हैं."
केरल में ईवीएम दे रही बीजेपी को वोट?
प्रशांत भूषण ने कहा,
"केरल के कासरगोड में एक मॉक पोल हुआ था, जिसमें चार ईवीएम और वीवीपैट में बीजेपी के लिए एक अतिरिक्त वोट दर्ज किया जा रहा था. मनोरमा ने यह रिपोर्ट पेश की,"
चुनाव आयोग ने जबाव दिया,
"जिस कासरगोड घटना (EVM में गड़बड़ी) का हवाला दिया गया है, वो सही नहीं है. जैसा कि हमने बताया, ये 2019 के ऐप में एक गलती थी और डेटा को synchronously अपडेट नहीं किया जा रहा था. अब इस पर काम किया गया है और इसमें कोई त्रुटि नहीं है."
सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में :ECI
चुनाव आयोग ने अदालत को सूचित किया कि चुनाव से जुड़ी सभी जानकारी उन्होंने अपने वेबसाइट पर डाल रखी है.
बेंच ने आगे कहा, आप जो हमें बता रहे हैं, और जो लोगों के बीच में है, उसमें किसी प्रकार का अंतर तो नहीं हैं?
चुनाव आयोग ने जबाव दिया,
"इस मामले में छुपाने को कुछ भी नहीं हैं."
ईवीएम से छेड़छाड़ पर क्या होगी सजा?
बेंच ने चुनाव आयोग से जानकारी मांगी. ईवीएम से छेड़छाड़ करनेवालों पर क्या सजा होगी? इस सवाल के जबाव में चुनाव आयोग ने बताया कि RP Act के अनुसार, उक्त अधिकारी पर 500 रूपये का जुर्माना लगेगा.
एक कैंडिडेट का वोट दूसरे को नहीं: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम की खराबी के संबंध में केवल 25 शिकायतें आई थीं. जांच करने के बाद कोई भी सही नहीं पाई गई.
आयोग ने कहा,
"अब तक 38,000 मतपत्रों को रैंडम तरीके से चुना गया और किसी में भी उम्मीदवार ए से उम्मीदवार बी को वोट स्थानांतरित होने का एक भी मामला सामने नहीं आया है. एकमात्र त्रुटि जो हो सकती है वह तब हुई है जब मॉक पोल का डेटा डिलीट नहीं किया गया है."
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है.