Advertisement

POCSO मामले में डॉक्टर दंपत्ति को मिली जमानत, जानिए फैसले में दिल्ली कोर्ट ने क्या कहा?

रोहिणी कोर्ट ने डॉक्टर दंपत्ति को POCSO मुकदमे में जमानत दी है. जमानत का आधार दंपत्ति का जांच के दौरान सहयोग और गर्भपात के आरोप का सबूत नहीं मिलना है.

Written By Satyam Kumar | Published : July 2, 2024 12:03 PM IST

POCSO Act: हाल ही में रोहिणी सेशन कोर्ट ने एक डॉक्टर दंपत्ति को राहत दी है. अदालत ने पुरूष डॉक्टर को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail), वहीं महिला दंपत्ति को नियमित जमानत दे दी है. महिला और पुरूष डॉक्टर पति-पत्नी है. दोनों दंपत्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) की विभिन्न धाराओं में मामले को दर्ज किया गया था.

POCSO मामले में डॉक्टर दंपत्ति को मिली जमानत

सेशन जज जीतेन्द्र सिंह ने महिला डॉक्टर को नियमित जमानत दी. अदालत ने फैसले में बताया कि PNDT या गर्भावस्था के अवैध समापन के कोई सबूत नहीं मिले हैं. अदालत ने पाया कि आरोपी ने जांच के दौरान पूरा सहयोग किया है जिसके चलते चिकित्सक दंपत्ति को जमानत दी है.

Advertisement

अदालत ने कहा,

Also Read

More News

"आरोपी ने सभी रिकॉर्ड उपलब्ध कराकर जांच में सहयोग किया है। इन परिस्थितियों में, आवेदक (आरोपी) को जमानत पर रिहा किया जाता है."

डॉक्टर दंपत्ति को जांच में सहयोग करने को लेकर अदालत ने राहत दी है. सबूत नहीं होने की वजह से स्त्री रोग विशेषज्ञ (महिला डॉक्टर) को नियमित जमानत दे दी गई. स्त्री रोग विशेषज्ञ के पति के खिलाफ भी गर्भपात कराने का कोई आरोप नहीं था, जिसके चलते उन्हें अग्रिम जमानत दी गई थी.

Advertisement

क्या है मामला?

मामले में पीड़िता ने अपने प्रेमी (सह आरोपी) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. पीड़िता ने कहा उसके प्रेमी ने उसका तीन गर्भपात तीन बार (मई, अक्टूबर और दिसंबर, 2023) में कराया. गर्भपात एक डॉक्टर के क्लिनिक में हुआ. शिकायत के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई स्वरूप महिला रोग चिकित्सक को गिरफ्तार किया.

मामले में महिला के प्रेमी को भी जमानत मिली है. वहीं पीड़िता की जांच करने वाले डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. क्लिनिक की जांच की. लेकिन पीड़िता के गर्भवती होने या गर्भपात कराने को लेकर किसी प्रकार का सबूत नहीं मिला.