Disproportionate Assets Case: सुप्रीम कोर्ट ने दो TN मंत्रियों के खिलाफ मद्रास HC के आदेश पर लगाई रोक
Disproportionate Assets Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्रियों केकेएसएसआर रामचंद्रन और थंगम थेन्नारासु और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को बहाल करने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. उनकी विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस हृषिकेश रॉय और पीके मिश्रा की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. मामले की अब अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.
7 अगस्त को पारित एक आदेश में, मद्रास उच्च न्यायालय ने 2011 और 2012 में उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग आय से अधिक संपत्ति के मामलों से मंत्रियों रामचंद्रन और थेन्नारासु को मुक्त करने के फैसले को खारिज कर दिया है. मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस एन आनंद वेंकटेश की पीठ ने रामचंद्रन, उनकी पत्नी आर. अधिलक्ष्मी और मित्र केएसपी षणमुगमूर्ति को मुक्त करने के एक विशेष अदालत के आदेश को पलट दिया और आय से अधिक संपत्ति के मामलों को विशेष अदालत को वापस भेज दिया है.
मद्रस उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि निचली अदालत को आरोप तय करने चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए. जस्टिस वेंकटेश ने स्पष्ट किया कि स्वत: संज्ञान कार्यवाही में पारित आदेशों के मद्देनजर, अभियुक्तों द्वारा निचली अदालत के समक्ष दायर की गई निर्वहन याचिकाएं खारिज हो जाएंगी. इसके अलावा, मद्रास उच्च न्यायालय ने तीनों आरोपियों को 9 सितंबर को विशेष अदालत के समक्ष पेश होने और एक बांड भरने का निर्देश दिया. इसने कहा कि मुकदमा स्वत: संज्ञान कार्यवाही में की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना चलाया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने मंत्री थंगम थेन्नारासु और उनकी पत्नी टी. मणिमेगालाई के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में एमपी/एमएलए मामलों को संभालने वाली एक विशेष अदालत द्वारा पारित आदेशों को भी खारिज कर दिया और आय से अधिक संपत्ति के मामले को ट्रायल कोर्ट की फाइल में वापस कर दिया.
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विशेष अदालत को रेगुलर बेसिस पर मुकदमा चलाने का निर्देश देने के साथ ही मद्रास हाईकोर्ट ने मामले में आरोप तय करने का निर्देश दिया है. अपने फैसले में, न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने कहा कि आरोपियों को 11 सितंबर, 2024 को विशेष अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाता है. ऐसी उपस्थिति पर, विशेष अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के तहत जमानत के साथ या बिना जमानत के एक बांड प्राप्त करेगी, जैसा कि विशेष अदालत उचित और आवश्यक समझे.