दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद की जमानत का विरोध, जानें दिल्ली पुलिस ने HC को क्या बताया
Delhi Riots 2o20: दिल्ली हाई कोर्ट आज दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दलीलें सुन रहा है. जिरह के दौरान दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के जमानत का विरोध किया. पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि उमर खालिद ने दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली से बाहर रहने की 'ठोस योजना' बनाई थी ताकि वह इसमे फंस न जाए. दिल्ली पुलिस ने आगे कहा कि उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि उसने दिल्ली दंगों की साजिश में बांग्लादेशी अप्रवासियों का शामिल करने की कोशिश की थी. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल नोट में एक गवाह के बयान के हवाले से कहा कि उमर खालिद और उसके पिता जंतरमंतर पर जहांगीरपुरी के रहने वाले लोगों से मिले. उमर खालिद ने उनसे कहा कि आप लोग जहांगीर पुरी से आते हैं. वहां पर बांग्लादेश के लोग ज्यादा हैं. उन लोगों को सीएए/एनआरसी के बारे में बताते रहो और कानून के खिलाफ लड़ने के लिए कहो. आइये जानते हैं कि उमर खालिद के जमानत के विरोध में दिल्ली हाईकोर्ट से पुलिस ने और क्या कहा..
उमर खालिद ने भाषण के सहारे लोगों के मन में डर पैदा किया: पुलिस
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर के समक्ष पुलिस ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया और फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में अपनी दलीलें रखीं.
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कहा कि मीरान (हैदर), शरजील इमाम, खालिद सैफी और उमर खालिद के भाषणों में एक समान अवधारणा है. सभी एक ही मुद्दे पर बात कर रहे हैं और इन्होंने सीएए-एनआरसी, बाबरी, तीन तलाक तथा कश्मीर के बारे में बात करके लोगों में डर की भावना पैदा की. उसने अमरावती में आपत्तिजनक भाषण’ दिया, जो वायरल हुआ है. प्रसाद ने दावा किया कि राजधानी में हिंसा भड़कने के समय उमर खालिद किसी भी आरोप से बचने के लिए जानबूझकर दिल्ली से बाहर यात्रा कर रहा था.
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क्या है मामला?
खालिद, शरजील और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता’ होने के कारण यूएपीए और आईपीसी के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के दौरान 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे. सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी.
एसपीपी प्रसाद ने कई गवाहों के बयानों का भी हवाला दिया, ताकि यह साबित हो सके कि केवल विरोध स्थलों का आयोजन करने वाले आरोपी व्यक्ति निर्दोष नहीं थे, बल्कि व्हाट्सएप’ में ग्रुप’ के माध्यम से हिंसा फैलाने की योजना बनाई गई थी, जिसके तहत दंगों से संबंधित 751 प्राथमिकियां दर्ज की गईं. उन्होंने कहा कि कुछ आरोपियों ने फरवरी 2020 और 13 दिसंबर 2019 की हिंसा में भूमिका निभाई थी.
शरजील, गुलफिशा फातिमा और खालिद सैफी सहित अन्य द्वारा जमानत याचिकाएं 2022 में दायर की गईं और समय-समय पर विभिन्न पीठों द्वारा उन पर सुनवाई की गई. उच्च न्यायालय द्वारा अक्टूबर 2022 में उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद खालिद ने 2024 में दूसरी बार जमानत का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.
मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.
(खबर पीटीआई इनपुट से)