Advertisement

दिल्ली के वकीलों को जारी होगा अब नया पहचान पत्र, नए सिरे से करना होगा Advocates को आवेदन

 Bar Council Of Delhi की ओर से अधिवक्ताओं के सत्यापन के जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार अधिवक्तओं को नए पहचान पत्र नए सिरे से जारी करने का यह निर्णय 06 अप्रैल को हुई बैठक में लिया गया है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : April 14, 2023 5:21 AM IST

नई दिल्ली: Bar Council of Delhi ने अपने अधीन लॉयर्स बॉडी में रजिस्टर्ड सभी अधिवक्ताओं को नया पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया है. बार काउंसिल अब दिल्ली के अधिवक्ताओं को नए सिरे से पहचान पत्र जारी करेगा. इन पहचान पत्रों के लिए अधिवक्ताओं को एक माह के भीतर आवेदन करना होगा.

Bar Council of Delhi की ओर से अधिवक्ताओं के सत्यापन के जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार अधिवक्तओं को नए पहचान पत्र नए सिरे से जारी करने का यह निर्णय 6 अप्रैल को हुई बैठक में लिया गया है.

Advertisement

अधिवक्ताओं को नामांकन के लिए आधार कार्ड की सत्यापित प्रति, नामांकन प्रमाण पत्र की प्रति और प्रैक्टिस सर्टिफिकेट के साथ आवेदन करना होगा. नए पहचान पत्र में "स्थायी पहचान पत्र 10 साल के लिए वैध होगा और प्रोविज़नल आईडी कार्ड दो साल के लिए वैध होगा.

Also Read

More News

Bar Council of Delhi ने स्पष्ट किया है कि नए पहचान पत्र जारी करने के लिए नए सिरे से आवेदन करने के लिए वकीलों से कोई फीस नहीं ली जाएगी.

Advertisement

सर्कुलर में कहा गया है कि "एक महीने के भीतर यानी 1 मई से 31 तक आवेदन करने वालों को पहचान पत्र मुफ्त में जारी किए जाएंगे.

Supreme Court कर रहा है सुनवाई

देशभर में अधिवक्ताओं के सत्यापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका में सभी राज्य बार और बीसीआई को अधिवक्ताओं के सत्यापन के आदेश दिए थे.

10 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वर्तमान में अधिवक्ताओं की संख्या 25.70 लाख होने का अनुमान है. लेकिन 1.99 लाख अधिवक्ताओं का ही राज्यवार सत्यापन हो पाया है.

देशभर की राज्य बार काउंसिलों में नामांकित अधिकांश अधिवक्ताओं ने अभी तक अपना सत्यापन प्रस्तुत नहीं किया है.जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों में कार्यरत अधिवक्ताओं की कानून की डिग्री और प्रमाण पत्रों के सत्यापन की जांच के लिए एक 8 सदस्य वाली कमेटी का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज अरूण टंडन, राजेन्द्र मेनन, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह के साथ ही बीसीआई द्वारा नामित 3 सदस्य शामिल होंगे.

क्यों हुई कवायद

देश में लबे समय से अधिवक्ताओं का सत्यापन नही हो पाया है. नियमों के अनुसार कोई अधिवक्ता अगर किसी दूसरे पेशे या नौकरी में चला जाता है तो उसे अपनी अधिवक्ता की सनद वापस देनी होती है.

लेकिन कई मामलो में अधिवक्ता अपने पुराने पहचान पत्र के आधार पर ना केवल अदालतोंं में प्रवेश करते है बल्कि वे कई कार्य भी करते है.

बीसीआई को आशंका है कि कई लोग कानून का अभ्यास करने के लिए योग्य नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि ऐसे व्यक्तियों की पहचान की जानी चाहिए और उनको बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए जो बाहरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "जिनके पास शैक्षिक योग्यता या क़ानूनी डिग्री प्रमाण पत्र नहीं है, वकील होने का दावा करने वाले ऐसे लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है.

पीठ ने कहा कि सभी वास्तविक वकीलों का कर्तव्य है कि वे अपनी डिग्री सत्यापित करने की इस प्रक्रिया में सहयोग करें और जब तक यह अभ्यास समय-समय पर नहीं किया जाता है, तब तक न्याय प्रशासन गंभीर संकट में रहेगा.