Delhi HC ने National ART & Surrogacy Board में नियुक्ति के खिलाफ PIL पर केंद्र को भेजा नोटिस
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड (National ART & Surrogacy Board) में भ्रूणविज्ञानी’’ (Embryologist) के पद पर नियुक्ति के खिलाफ एक जनहित याचिका पर बुधवार को केंद्र का रुख जानना चाहा।
बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने डॉ. नितिज मुर्डिया और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से मुर्डिया की समिति में विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि उनके पास इस पद के लिए अपेक्षित योग्यता और प्रशिक्षण नहीं है। पीठ ने कहा, आपको इसे सिद्ध करना होगा। कृपया जवाब दाखिल करें।’’
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याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता डॉ. अनिरुद्ध नारायण मालपानी आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि मुर्डिया केमिकल इंजीनियर हैं और किसी भी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से भ्रूणविज्ञान में उनके प्रशिक्षण का कोई साक्ष्य नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील मोहिनी प्रिया और इवान ने कहा कि सरोगेसी (नियमन) अधिनियम की धारा 17 (2) (एफ) कहती है कि राष्ट्रीय बोर्ड में एक प्रमुख भ्रूणविज्ञानी’’ को लिया जाना चाहिए, लेकिन जिस व्यक्ति की नियुक्ति की गई है उसके पेशेवर रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह अपने पूरे करियर में प्रबंधकीय एवं विपणन कार्य से जुड़े रहे’’ हैं।
याचिका में कहा गया है, दिनांक 16.02.2022 को जारी अधिसूचना में उपलब्ध जानकारी के अनुसार ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि प्रतिवादी नंबर 2 भ्रूणविज्ञानी’’ के तौर पर कम से कम 15 साल की अपेक्षित योग्यता रखता है जो कि राष्ट्रीय बोर्ड का विशेषज्ञ सदस्य बनने के लिए आवश्यक है।’’ मामले में अब सितंबर में सुनवाई होगी।