Delhi High Court ने खारिज किया शिक्षाविद Ashok Swain के OCI Card को रद्द करने के आदेश
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को केंद्र के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसके द्वारा शिक्षाविद अशोक स्वैन (Ashok Swain) का भारतीय विदेशी नागरिकता (Overseas Citizenship of India) कार्ड रद्द कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के आठ फरवरी, 2022 के आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया और इसमें शायद ही कोई समझदारी दिखाई गई है।’’
Delhi HC ने खारिज किया केंद्र का यह फैसला
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, धारा (जिसके तहत ओसीआई कार्ड (OCI Card) रद्द किया गया था) को एक मंत्र के रूप में दोहराने के अलावा, आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया कि याचिकाकर्ता का ओसीआई कार्ड धारक के रूप में पंजीकरण क्यों रद्द किया गया।’’ उच्च न्यायालय ने स्वीडन के निवासी स्वैन की ओसीआई कार्ड रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर यह आदेश दिया।
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न्यायाधीश ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र का फरवरी 2022 का आदेश शायद ही कोई आदेश’’ था और अधिकारियों से एक तर्कसंगत आदेश पारित करने को कहा। न्यायाधीश ने कहा, (याचिकाकर्ता का) स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने के क्या कारण हैं? आप एक तर्कसंगत आदेश पारित करें।’’ उच्च न्यायालय ने आठ दिसंबर, 2022 को नोटिस जारी किया था और केंद्र को अपना रुख बताने के लिए समय दिया था।
केंद्र को दिया ये निर्देश
भाषा के हिसाब से अदालत ने केंद्र को नागरिकता अधिनियम, 1955 (The Citizenship Act, 1955) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के कारण बताते हुए तीन सप्ताह के भीतर एक विस्तृत आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा, संबंधित आदेश को रद्द किया जाता है। प्रतिवादियों (केंद्र) को तीन सप्ताह के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया जाता है।’’ स्वैन स्वीडन में उप्पसला विश्वविद्यालय के शांति और संघर्ष अनुसंधान विभाग में प्रोफेसर और विभाग के प्रमुख हैं।
क्या थी शिक्षाविद अशोक स्वैन की याचिका?
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि 2020 में जारी कारण बताओ नोटिस के अनुसार उनके ओसीआई कार्ड पर मनमाने ढंग से रोक लगा दी गई थी। आधार यह था कि वह भड़काऊ भाषणों और भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।
याचिका में दावा किया गया कि इसके बाद आठ फरवरी, 2022 को अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को उचित अवसर दिए बिना मनमाने ढंग से ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया, जो उनके मुक्त आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन है।
केंद्र के वकील ने कहा कि एजेंसियों को एक सूचना मिली थी और दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद यह आदेश पारित किया गया। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि शिक्षाविद के रूप में सरकारी नीतियों पर चर्चा करना और उनकी आलोचना करना उनकी भूमिका में निहित है, लेकिन वह कभी भी किसी भी भड़काऊ भाषण या भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं हुए हैं।
उन्होंने कहा कि आदेश उन्हें उन आरोपों का खंडन करने का अवसर दिए बिना पारित किया गया, जिनके आधार पर कार्यवाही शुरू की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि रद्द करने का आदेश प्रथम दृष्टया मनमाना और गैर-कानूनी होने के साथ-साथ अनुचित है और याचिकाकर्ता को मौजूदा सरकार या उसकी नीतियों पर उनके विचारों के लिए परेशान नहीं किया जा सकता।’’
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पिछले दो साल और नौ महीने से भारत नहीं आए हैं और इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि उन्हें भारत आना है और अपनी बीमार मां की देखभाल करनी है।