दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 वेबसाइट को अस्थायी तौर पर ब्लॉक करने का दिया आदेश
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सी हरि शंकर ने 18 रोग वेबसाइटों (Rogue Websites) को ब्लॉक करने के लिए सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट और विभिन्न अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया. याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में एक आवेदन दायर की थी जिसमें दावा किया गया कि वर्तमान मामले में 18 वेबसाइट ने कॉपीराइट अधिनियम, 1957 का उल्लंघन किया है, क्योंकि उनकी वेबसाइटों का उपयोग संगीत, रिकॉर्डिंग, वीडियो आदि डाउनलोड करने के लिए किया जाता है, जिसके लिए सिर्फ याचिकाकर्ताओं के पास कॉपीराइट है.
हालांकि वर्तमान मामले में, प्रतिवादी उपस्थित नहीं थे और अदालत ने एक पक्षीय (ex-parte) निर्णय पारित किया. प्रतिवादियों के उपस्थित न होने का कारण यह है कि तकनीकी जटिलताओं के कारण अभी तक उनकी पहचान नहीं की जा सकी है और केवल उनकी वेबसाइट के नाम के अनुसार, इस मामले में उन्हें प्रतिवादी बनाया गया.
'रोग वेबसाइट' किसे कहा जाता है
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन पोर्टल्स को "रोग वेबसाइट" कहा जाता है, जैसा कि इसी अदालत ने यूटीवी सॉफ्टवेयर कम्युनिकेशन लिमिटेड बनाम 1337X.TO के मामले में समझाया था.
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याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि इन 18 वेबसाइट के ज़रिये, विभिन्न प्लेटफार्मों पर कॉपीराइट की गई चीज़े, ज्यादातर जो YouTube पर मौजूद है, उनके लिंक को कॉपी करके और वेबसाइट पर पेस्ट करके डाउनलोड किया जा सकता है, जो कॉपीराइट अधिनियम की धारा 51(a)(i),(a)(ii) and (b) का उल्लंघन है. और जिनका कॉपीराइट किया गया है, उसके हस्तांतरण, उपयोग, प्रसारण आदि पर प्रतिबन्ध लगता है.
हाई कोर्ट ने क्या कहा
हाई कोर्ट ने कहा कि, याचिकाकर्ता 18 वेबसाइटों के खिलाफ निषेधाज्ञा की अपनी मांग को प्रथम दृष्टया सही ठहराने में सक्षम और सफल रहे, ताकि आगे कॉपीराइट उल्लंघन ना हो. कोर्ट ने अपने आदेश में मामले की अगली सुनवाई तक, 18 वेबसाइटों को अवैध तरीकों से कॉपीराइट चीज़ो को होस्ट करने, पुन: प्रस्तुत करने या जनता के लिए उपलब्ध कराने पर रोग लगा दी है.
कोर्ट ने मामले में अन्य प्रतिवादियों को इन 18 वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया और भारत सरकार से इन वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए एक अधिसूचना जारी करने के भी आदेश दिया है.
कोर्ट ने इस मामले में आदेश दिए है कि भविष्य के लिए मेंयदि इन वेबसाइटों को ब्लॉक करने के बाद भी ये अस्तित्व में आती हैं तो याचिकाकर्ताओं को इस संबंध में रजिस्ट्रार के पास एक हलफनामा दाखिल करना होगा, ताकि इन्हे फिर से ब्लॉक किया जा सके.