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2020 Delhi Riots: दिल्ली उच्च न्यायालय ने CPI(M) नेता Brinda Karat से पुलिस के खिलाफ जांच संबंधी प्राथमिकियों की प्रतियां देने को कहा

Delhi High Court

2020 में दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता बृंदा करात से कुछ प्राथमिकियों की प्रति की मांग की है और यह भी कहा है कि इन प्राथमिकियों के आने के बाद दिल्ली पुलिस एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे..

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 25, 2023 11:11 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [CPI(M)] की नेता बृंदा करात (Brinda Karat) से उन प्राथमिकियों की प्रतियां पेश करने को कहा, जिनमें वह 2020 के दंगों के दौरान यहां पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर अत्यधिक बल प्रयोग की स्वतंत्र जांच की मांग कर रही हैं।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल (Justice Sidharth Mridul) और न्यायमूर्ति अनीश दयाल (Justice Anish Dayal) की पीठ ने कहा कि एक बार ऐसी प्राथमिकियां रिकॉर्ड में आने के बाद दिल्ली पुलिस को मामलों की जांच के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जा सकता है।

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बृंदा करात के वकील ने अदालत से कही ये बात

करात के वकील ने अदालत को बताया कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पुलिस अधिकारों के कथित दुरुपयोग के संबंध में कई प्राथमिकियां दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक घटना वायरल वीडियो के जरिये सामने आई थी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों को एक मुस्लिम युवक को पीटते हुए और उसे राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करते हुए देखा गया था।

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पीठ ने कहा, उन प्राथमिकियों की प्रति दाखिल करें जिनमें आप चाहते हैं कि हम स्वतंत्र जांच का निर्देश दें। इसे रिकॉर्ड पर लायें।’’ अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो 2020 के दंगों के बाद दायर की गई थीं।

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संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत होने के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें भड़क उठी थीं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 700 घायल हो गए। एक स्वतंत्र निकाय द्वारा जांच की मांग करने वाली करात की याचिका के अलावा, कथित तौर पर नफरत भरे भाषण देने के लिए कई नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी की मांग करने वाली याचिकाएं भी सूचीबद्ध थीं।

अदालत ने निर्देश दिया कि सभी मामलों को सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई, 2022 को विभिन्न नेताओं-अनुराग ठाकुर (भारतीय जनता पार्टी), सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी (कांग्रेस), दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत विभिन्न नेताओं को कथित तौर पर नफरती भाषण के संबंध में उनके खिलाफ प्राथमिकी और जांच की मांग वाली कार्यवाही में पक्षकार बनाया था।

याचिकाकर्ता शेख मुजतबा फारूक ने भाजपा नेता ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए प्राथमिकी की मांग की है। याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ-साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान, महमूद प्राचा, हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, स्वरा भास्कर और उमर खालिद सहित अन्य के खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।

जवाब में गांधी परिवार ने कहा है कि किसी नागरिक को संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक या कानून के खिलाफ एक ईमानदार राय व्यक्त करने से रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार’’ और लोकतंत्र के सिद्धांतों’’ का उल्लंघन है।