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मुअज्जिनों-इमामों को राज्य कोष से सैलरी देने पर केजरीवाल सरकार के खिलाफ नोटिस जारी, Delhi High Court ने मांगा जबाव, जानें क्या हुआ

इमामों-मुअज्जिनोंको राज्य कोष से पैसे देने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली वित्त विभाग के खिलाफ नोटिस जारी कर जबाव मांगा है. आइये जानते हैं कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कुछ कहा है...

Written By My Lord Team | Published : March 21, 2024 5:52 PM IST

Paying Salaries To Imam: गुरूवार (21 मार्च, 2024) के दिन, दिल्ली हाईकोर्ट ने इमामों, मुअज्जिनों को राज्य कोष से सैलरी देने पर अरविंद केजरीवाल के अगुवाई वाली दिल्ली सरकार से जबाव मांगा है. दिल्ली वक्फ बोर्ड के खिलाफ भी नोटिस जारी किया गया है. उच्च न्यायालय ने कहा. अगर आप एक संस्थान को यह लाभ दे रहें हैं, तो अन्य धार्मिक संस्थान भी आर्थिक सहायता की राज्य से मांग कर सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली वित्त विभाग के खिलाफ नोटिस जारी किया है. 

दिल्ली हाईकोर्ट में क्या हुआ?

दिल्ली उच्च न्यायालय में एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने दिल्ली सरकार द्वारा इमामों और मुअज्जिनों को सैलरी देने के फैसले को चुनौती दी गई है. 

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बेंच ने कहा,

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“अगर एक धर्म को लेकर ऐसा हो रहा है तो दूसरे भी आगे आकर कहेंगे कि हमें सब्सिडी दो. इसका अंत कहां होगा?”

अदालत ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भी एक पक्ष बनाया और सभी प्रतिवादियों (Respondents) को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया. 

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मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई, 2024 को होगी. 

क्या है मामला?

रूक्मिणी सिंह. पेशे से वकील. दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका में आप सरकार द्वारा राज्य में रहनेवाले धर्म विशेष के इमामों और मुअज्जिनों को सैलरी देने के फैसले को चुनौती दी है.

याचिका में कहा,

“प्रतिवादी नंबर 1 राज्य द्वारा एक विशेष धार्मिक समुदाय के कुछ व्यक्तियों को सम्मान राशि देना सीधे तौर पर राज्य की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का उल्लंघन करती है. और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15(1) और 27, 266 और 282 का उल्लंघन करता है.”

सौरभ कृपाल, सीनियर एडवोकेट. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए. उन्होंने आरोप लगाया. तकरीबन दस करोड़ रूपये सलाना इमामों और मुअज्जिनों को दिया जा रहा है. यह करदाताओं का पैसा है. 

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने आरोपों से किया इंकार

सीनियर वकील संजय घोष ने दिल्ली वक्फ बोर्ड का पक्ष रखा, कहा. वक्फ बोर्ड एक वैधानिक इकाई है. इमामों और मौलवियों को पैसा दे रही है. इसमें सरकार को कोई योगदान नहीं है. वहीं, फंड के विषय पर कहा कि वे आर्थिक रूप से असहाय वर्गों की पढ़ाई में जाते हैं. 

दिल्ली सरकार ने क्या कहा?

संतोष कुमार त्रिपाठी, दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए. उन्होंने कहा. इमामों और मुअज्जिनों की स्थिति अलग है. दूसरे धर्म में पुजारी पैसा मांग सकते हैं, लेकिन मौलवी ऐसा नहीं कर सकते हैं. फंड देने का उद्देश्य समाजिक सौहार्द को बढ़ाना है. 

सरकार ने नोटिस जार कर सभी प्रतिवादियों से डजबाव की मांग की है.