Advertisement

Coal Block Allotment Scam: दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे को अंतरिम जमानत दी

Vijay darda

राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे और कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल को दिल्ली उच्च न्यायालय से कोयला घोटाले में अंतरिम जमानत मिल गई है। बता दें कि ये मामला छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा है...

Written By Ananya Srivastava | Published : July 29, 2023 10:26 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) के पूर्व सदस्य विजय दर्डा (Vijay Darda), उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा (Devendra Darda) और कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल (Manoj Kumar Jaiswal) को दो दिन जेल में गुजराने के बाद शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी।

इन्हें छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े मामले में चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने मामले में अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ तीन लोगों द्वारा दायर अपील पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

Advertisement

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, अदालत ने चार साल की कैद की सजा को निलंबित करने की दोषियों की मांग वाली याचिका पर भी सीबीआई से जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, “ इस बात को मद्देनजर रखते हुए कि अपीलकर्ताओं को सुनवाई के दौरान कभी गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्होंने ज़मानत का दुरुपयोग नहीं किया, उन्हें 10 लाख रुपये का निजी मुचलका पेश करने पर अंतरिम ज़मानत प्रदान की जाती है।”

Also Read

More News

निचली अदालत द्वारा 26 जुलाई को आदेश पारित करने के बाद विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और जयसवाल को तत्काल हिरासत में ले लिया गया था। तीन दोषियों को सज़ा सुनाते हुए निचली अदालत ने कहा था कि दोषियों ने भारत सरकार से धोखा करके’’ कोयला ब्लॉक हासिल किया।

Advertisement

भाषा के अनुसार, निचली अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और दो पूर्व वरिष्ठ लोक सेवकों- के एस क्रोफा और के सी समरिया को भी मामले में तीन-तीन साल की सजा सुनाई। हालांकि, इन तीनों दोषियों को अदालत ने जमानत दे दी, ताकि वे अपनी दोषसिद्धि और सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकें। अदालत ने मामले में दोषी ठहराई गई कंपनी जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड’ पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

अदालत ने दर्डा, उनके बेटे तथा जायसवाल पर 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अन्य तीन दोषियों को भी 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया। उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान, विजय दर्डा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कीर्ति उप्पल ने चिकित्सा आधार पर उनकी सजा को निलंबित करने का आग्रह किया और कहा कि 73 वर्षीय व्यक्ति हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं।

उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने स्वयं इस तथ्य पर विचार किया था कि सरकारी खजाने को कोई गलत नुकसान नहीं हुआ था और आरोपी व्यक्तियों को कोई गलत लाभ नहीं हुआ था। देवेंद्र दर्डा और जायसवाल की ओर से पेश वकील विजय अग्रवाल ने दलील दी कि लोक सेवकों को मुख्य आरोपी माना था और उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि निजी व्यक्तियों को चार-चार साल की जेल की सजा सुनाई गई है।

उन्होंने दलील दी कि आरोपियों को कभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया और वे मुकदमे के दौरान ज़मानत पर थे और उन्होंने कभी भी ज़मानत का दुरुपयोग नहीं किया। सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा और वकील तरन्नुम चीमा ने कहा कि ये मामले कोयला घोटाले का हिस्सा हैं और इसकी उच्चतम न्यायालय द्वारा निगरानी की गई। वकील ने कहा कि निचली अदालत ने तार्किक फैसला दिया है और सीबीआई की तरफ से विस्तृत जवाब दाखिल करने का वक्त मांगा।

विजय दर्डा व देवेंद्र दर्डा और जायसवाल को अंतरिम जमानत देते हुए, उच्च न्यायालय ने उनसे कहा कि वे निचली अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे और जब भी जरूरत होगी वे उपलब्ध रहेंगे। निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा था, मौजूदा मामला कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित है। दोषियों ने भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी करके उक्त ब्लॉक हासिल किया था। अभियोजन पक्ष का यह कहना उचित है कि राष्ट्र को भारी क्षति हुई।’’

कोयला घोटाले में 13वीं दोषसिद्धि में अदालत ने 13 जुलाई को सात आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) एवं धारा 420 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। कोयला घोटाला केंद्र की पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सामने आया था।

अदालत ने 20 नवंबर, 2014 को मामले में सीबीआई द्वारा प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट’ को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और संघीय जांच एजेंसी को इसकी नये सिरे से जांच करने का निर्देश दिया था। अदालत से कहा गया था कि पूर्व सांसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्रों में तथ्यों को "गलत तरीके से प्रस्तुत" किया था। कोयला मंत्रालय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन था। अदालत ने कहा कि लोकमत समूह के अध्यक्ष विजय दर्डा ने जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के लिए छत्तीसगढ़ में फतेहपुर (पूर्व) कोयला ब्लॉक लेने के लिए ऐसा किया था।