'अदालत के संज्ञान लेने से पहले राज्य सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक', Public Servant के खिलाफ मुकदमा चलाने पर Delhi HC
दिल्ली हाई कोर्ट ने चार वर्षीय बच्चे की मौत के मामले में एमसीडी स्कूल के प्रिंसिपल और एक जूनियर इंजीनियर को बड़ी राहत दी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है. इस मामले में पुलिस ने एमसीडी प्रिंसिपल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति नहीं ली थी, चूंकि एमसीडी स्कूल के प्रिंसिपल और जूनियर इंजीनियर राज्य सरकार के कर्मचारी है, इसलिए दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य की अनुमति नहीं पाते हुए मुकदमा रद्द कर दिया. बता दें कि 2016 में एक बच्ची की स्कूल के सेप्टिक टैंक में डूबने से हुई मौत से जुड़ा है, जिसमें प्रिंसिपल और जूनियर इंजीनियर को जिम्मेदार ठहराते हुए 'लापरवाही से मौत' का मुकदमा दर्ज किया गया है.
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि मुकदमा चलाने की अनुमति, अदालत के मामले पर संज्ञान लेने से पहले प्राप्त करना आवश्यक था. इस दौरान याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले अभियोजन पक्ष ने किसी भी सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) से मंजूरी नहीं लिया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा,
Also Read
- पब्लिक प्लेस से अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का मामला, Delhi HC ने सरकार से मांगी कार्रवाई की पूरी जानकारी
- CLAT 2025 के रिजल्ट संबंधी सभी याचिकाओं को Delhi HC में ट्रांसफर करने का निर्देश, SC का अन्य उच्च न्यायालयों से अनुरोध
- जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना: Delhi HC ने सरकार को कोचिंग फीस का भुगतान करने का आदेश दिया
"पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जांच एजेंसी को अदालत के संज्ञान लेने से पहले राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी, उसके बाद में ली गई सहमति निरर्थक होगी."
अदालत ने कहा कि पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेना जरूरी है. वहीं, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि भले ही राज्य सरकार की स्वीकृति संज्ञान लेने के बाद ली गई है, लेकिन पुलिस के पास विलंब माफी के साथ याचिकाकर्ता के खिलाफ नए सिरे से आरोपपत्र दाखिल करने का विकल्प है. अदालत ने कहा कि विलंब होने की माफीनामे के साथ अगर कोई चार्जशीट दायर की गई है, तो अदालत उस पर जरूर विचार करेगी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही कानून के अनुसार जारी रहेगा.
(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित)