दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को कहा की इस स्वयंभू उपदेशक की गिरफ्तारी के लिए उठाए कदम
नई दिल्ली: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) को दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह दुष्कर्म के आरोपी और कई वर्षों से फरार स्वयंभू धार्मिक उपदेशक वीरेन्द्र देव दीक्षित को गिरफ्तार करने के लिए और कदम उठाए. समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, अदालत के संज्ञान में यह लाया गया कि दीक्षित और उनके अनुयायी कम से कम छह यूट्यूब चैनल तथा सोशल मीडिया हैंडल पर वीडियो अपलोड कर रहे हैं तथा मार्च 2018 से अब तक इस प्रकार के वीडियो बड़ी संख्या में अपलोड किए गए हैं.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा तथा न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, सीबीआई को दीक्षित को गिरफ्तार करने के लिए और कदम उठाने के निर्देश दिए जाते हैं क्योंकि वह अब भी फरार है. इस मामले पर छह सप्ताह बाद सुनवाई की जाए. सीबीआई इस मामले में नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे.’’
एजेंसी की माने तो, अदालत गैर सरकार संगठन (एनजीओ) फाउडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट’की ओर से 2017 में दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी. एनजीओ की ओर से अधिवक्ता श्रवण कुमार पैरवी कर रहे थे. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कई नाबालिगों तथा महिलाओं को दीक्षित द्वारा संचालित धार्मिक विश्वविद्यालय’’ में गैर कानूनी तरीके से कैद करके रखा गया है और उनके अभिभावकों को मिलने की अनुमति नहीं है.
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अदालत ने सीबीआई को आश्रम के संस्थापक दीक्षित का पता लगाने के लिए कहा. साथ ही संघीय एजेंसी को आश्रम में लड़कियों और महिलाओं की अवैध कैद’’ की जांच करने का निर्देश दिया जहां उन्हें कथित तौर पर जानवर जैसी’’ स्थिति में रखा गया है.
अदालत ने यह भी कहा कि एक अन्य अहम पहलू यह भी है कि देश में बड़ी संख्या में इस प्रकार के आश्रम संचालित हो रहे हैं, सीबीआई को यह पता लगाने की जरूरत है कि इन आश्रमों के मालिक कौन हैं.
अदालत ने कहा कि काफी प्रयासों के बावजूद एजेंसी दीक्षित को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. अदालत ने यह भी कहा कि संगठन विश्वविद्यालय’ शब्द का इस्तेमाल कर रहा है, और यह खुद को आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ कहता है. आश्रम की ओर से पेश वकील ने कहा कि विश्वविद्यालय’ शब्द के उपयोग के संबंध में मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है.