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'आदिपुरुष' के खिलाफ याचिका की दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 जुलाई के लिए स्‍थगित की

अवकाश पीठ ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, लेकिन जस्टिस गंजू ने मौखिक तौर पर टिप्पणी की "आपको फिल्म की रिलीज के बारे में पहले से ही पता है.

Written By My Lord Team | Published : July 3, 2023 6:40 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'आदिपुरुष' को दिए गए प्रमाणन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 के तहत सुनवाई को 27 जुलाई के लिए स्थगित कर दी. ओम राउत द्वारा निर्देशित यह फिल्म 16 जून को देशभर में रिलीज हो चुकी है.

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, जनहित याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सोमवार को दावा किया गया कि फिल्म के पात्र हिंदू महाकाव्य रामायण में इन धार्मिक शख्सियतों के चित्रण से भटक गए हैं. न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ ने मामले को स्थगित कर दिया.

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गौरतलब है कि 21 जून को जस्टिस तारा वितास्ता गंजू और जस्टिस अमित महाजन की अवकाश पीठ ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था, जबकि याचिकाकर्ता, हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ने, सुनवाई के दौरान तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी.

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फिल्म में कई विवादास्पद दृश्य

वकील ने कहा था, ''मैं याचिका को आज या शुक्रवार को सूचीबद्ध करने की मांग कर रहा हूं, क्योंकि फिल्म में कई विवादास्पद दृश्य हैं.'' साथ ही यह भी कहा कि "जब फिल्म का टीज़र रिलीज़ हुआ तो हंगामा मच गया. निर्देशक ने कुछ हिस्सों को हटाने का वादा किया, लेकिन इसे हटाया नहीं गया. इसी तरह जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ, तो उन्होंने फिर से वादा किया। यहां तक कि नेपाल ने भी फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है."

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अवकाश पीठ ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, लेकिन जस्टिस गंजू ने मौखिक तौर पर टिप्पणी की "आपको फिल्म की रिलीज के बारे में पहले से ही पता है. अगर यह पहले ही रिलीज हो चुकी है तो आप किसको रोक रहे हैं?"

जानकारी के मुताबिक, जनहित याचिका में कथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने या सुधार के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का मामला है कि फिल्म धार्मिक पात्रों को "गलत और अनुचित तरीके" से प्रस्तुत करके हिंदू समुदाय की "भावनाओं को ठेस पहुंचाती है" जो महर्षि वाल्मिकी और तुलसीदास जैसे लेखकों के कार्यों में पाए गए विवरणों के खिलाफ है.

किरदारों के लुक पर सवाल

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि फिल्म में रावण (सैफ अली खान द्वारा अभिनीत) और भगवान हनुमान जैसे पात्रों का चित्रण भारतीय सभ्यता से अलग है. "फिल्म में सैफ अली खान द्वारा निभाए गए रावण के किरदार का दाढ़ी वाला लुक हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत कर रहा है क्योंकि हिंदू ब्राह्मण रावण को गलत तरीके से भयानक चेहरा बनाते हुए दिखाया गया है जो हिंदू सभ्यता, हिंदू धार्मिक हस्तियों का अपमान है.''

आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में यह भी दावा किया गया है कि हिंदू धार्मिक पात्रों के "गलत" चित्रण ने पूरे देश में आलोचना और नाराजगी पैदा की है, इसमें रामानंद सागर की 'रामायण' में इन पात्रों को चित्रित करने वाले अभिनेता भी शामिल हैं.

साथ ही यह भी दावा किया गया कि "बाल शैली, दाढ़ी, मूंछें और पहनावे का तरीका, दिखावे सहित, उन महाकाव्यों में बनाई गई छवि के अनुसार अच्छी तरह से परिभाषित हैं. फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों और अभिनेताओं द्वारा इन छवियों में कोई भी बदलाव निश्चित रूप से उपासकों, भक्तों और धार्मिक लोगों की भावनाओं को आहत करेगा.“