Advertisement

दिल्ली सरकार ने एनजीटी द्वारा एलजी को यमुना कमेटी के चेयरमैन बनाने के आदेश को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

भाषा के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि यह आदेश दिल्ली में शासन की संवैधानिक व्यवस्था के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 2018 और 2023 के आदेशों का भी उल्लंघन करता है.

Written By My Lord Team | Published : May 25, 2023 1:35 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच एक नया मामला सामने आया है.अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल (एलजी) को यमुना पर बनी उच्च-स्तरीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिये चुनौती दी है.

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश के जरिए एलजी को दी गई कार्यकारी शक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि उपराज्यपाल को दी गईं शक्तियां विशेष रूप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्रों पर अतिक्रमण करती हैं.

Advertisement

भाषा के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि यह आदेश दिल्ली में शासन की संवैधानिक व्यवस्था के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 2018 और 2023 के आदेशों का भी उल्लंघन करता है.

Also Read

More News

ज्ञात हो की 9 जनवरी 2023 के अपने आदेश के जरिए एनजीटी ने यमुना नदी प्रदूषण के मुद्दे को हल करने के लिए दिल्ली में विभिन्न अथॉरिटीज वाली इस कमेटी का गठन करते हुए एलजी को इसका अध्यक्ष बनाया है.

Advertisement

जबकि दिल्ली सरकार का कहना है कि ऐसा तब किया गया, जबकि एलजी दिल्ली के मात्र औपचारिक प्रमुख भर हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार यमुना के प्रदूषण को दूर करने और उपचारात्मक उपायों को लागू करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय की आवश्यकता को स्वीकार करती है, लेकिन एनजीटी के आदेश के जरिए एलजी को दी गई कार्यकारी शक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताती है.

याचिका में केजरीवाल सरकार ने तर्क दिया है कि दिल्ली में प्रशासनिक ढांचे और संविधान के अनुच्छेद 239एए के प्रावधानों के अनुसार भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस से संबंधित मामलों को छोड़कर एलजी नाममात्र के प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं और वे संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एक समन्वित दृष्टिकोण को महत्व देते हुए इस बात पर जोर दिया है कि एनजीटी के आदेश में इस्तेमाल की गई भाषा निर्वाचित सरकार को दरकिनार करती है.

सरकार की दलील है कि एक ऐसे प्राधिकरण को कार्यकारी शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिनके पास उन शक्तियों को रखने का संवैधानिक अधिकार का अभाव है और यह चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र को भी कमजोर करता है. साथ ही यह भी कहा गया है कि एक ऐसा प्रशासनिक व्यक्ति, जिसके पास संवैधानिक जनादेश नहीं है, उसे कार्यकारी शक्तियां देना, असल में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र को कमजोर करता है.