Manish Sisodia को Delhi HC से मिली बीमार पत्नी से बात करने की अनुमति, जमानत पर फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली: आबकारी नीति मामले में करीब ढाई माह से हिरासत में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाईकोर्ट से फौरी तौर गुरूवार को आंशिक राहत मिली जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हे अपनी बीमार पत्नी से फोन पर बात करने की अनुमति दी गयी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को आदेश दिया है कि वह जेल मैन्युल के अनुसार सिसोदिया को वैकल्पिक दिनों में दोपहर बाद तीन से चार बजे के बीच Video Conferencing के जरिए बीमार पत्नी से बात कराई जाए.
दिल्ली हाईकेार्ट ने सिसोदिया की ओर से अपनी बिमार पत्नी के साथ रहने के अनुरोध करने को लेकर दायर अंतरिम जमानत पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया है.
Also Read
- kerala CM के सचिव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, आय से अधिक संपत्ति मामले में CBI जांच के आदेश पर रोक लगी
- Yes Bank के फाउंडर राणा कपूर को 1000 करोड़ के धोखाधड़ी मामले में CBI Court से मिली जमानत
- 'Kerala HC के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं', DM नवीन बाबू की पत्नी की याचिका Supreme Court ने की खारिज
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की एकलपीठ ने गुरूवार को सिसोदिया की अंतरिम जमानत पर सीबीआई की ओर से पेश किए गए जवाब के साथ ही दोनो पक्षों की दलीले पूर्ण होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
सिसोदिया फिलहाल CBI और ED द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. CBI द्वारा दर्ज मामले में विशेष न्यायाधीश ने 31 मार्च को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. हाल ही में ED के मामले में भी उन्हें जमानत नहीं मिल सकी थी.
दिल्ली की राउज एवेन्यू विशेष अदालत ने 8 मई को सिसोदिया की न्यायिक हिरासत अवधि बढाते हुए 23 मई तक जेल भेजने के आदेश दिए थे.
CBI ने किया जमानत का विरोध
सिसोदिया की ओर से बीमार पत्नी के साथ रहने को लेकर दायर अंतरिम जमानत याचिका का सीबीआई ने विरेाध किया है.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएसजी एसवी राजू ने सीबीआई की ओर से दलीले पेश करते हुए कहा कि सिसोदिया ने आबकारी सहित विभिन्न विभागों को नियंत्रित किया है और जिस दिन मामला उपराज्यपाल द्वारा सीबीआई को भेजा गया था, उस दिन जानबूझकर साक्ष्य और एक मोबाइल फोन को नष्ट कर दिया था.
अदालत के समक्ष सीबीआई ने नीतिगत दस्तावेजों से संबंधित एक लापता फाइल का भी उल्लेख करते हुए कहा है कि यह शायद इसलिए गायब हो गई क्योंकि इसमें कुछ ऐसी टिप्पणियां थीं, जो रुचिकर नहीं थीं.
गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया की ओर से सीबीआई मामले में दायर जमानत याचिका विशेष अदालत ने खारिज कर चुकी है.
Rouse Avenue Court के जज एम के नागपाल ने 31 मार्च को सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया था.
26 फरवरी से जेल और रिमांड
सिसोदिया को 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में CBI ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. 6 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में रहने के बाद सिसोदिया को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. बाद में उन्हें 10 मार्च को एक सप्ताह के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था.
17 मार्च को अदातल ने सिसोदिया की ईडी हिरासत पांच दिन बढ़ाकर 22 मार्च तक कर दी थी. रिमांड अवधि समाप्त होने पर 22 मार्च को सिसोदिया को अदालत में पेश किया गया था.
जिस पर अदालत ने सिसोदिया को 5 अप्रैल और उसके 17 अप्रेल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. 17 अप्रेल को अदालत ने एक बार फिर सिसोदिया को 29 अप्रेल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए. 29 अप्रैल के बाद 8 मई तक और फिर से इसे 23 मई तब हिरासत अवधिक बढा दी गयी है.