Delhi Excise Policy Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने दो अन्य आरोपी समीर महेंद्रू और चनप्रीत सिंह को दी जमानत
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब कारोबारी समीर महेंद्रू और आप कार्यकर्ता चनप्रीत सिंह को नियमित जमानत दे दी है. इंडो स्प्रिट के मालिक महेंद्रू ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत की मांग की थी. उन्हें 28 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और वे 18 महीने से अधिक समय से हिरासत में थे.
मुकदमा जल्द पूरे होने की उम्मीद नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने दो अन्य आरोपियों को दी सशर्त जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्ण ने समीर महेंद्रू और चनप्रीत सिंह को जमानत दी है. समीर महेंद्रू को जमानत देते हुए जस्टिस ने कहा कि आवेदक 28.09.2022 से यानी लगभग दो साल से न्यायिक हिरासत में है और मुकदमे के जल्द पूरा होने की बहुत कम उम्मीद है, ऐसे में आरोपी के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अपने अधिकार से वंचित होगा और इसलिए जमानत देने का हकदार है.
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने 9 सितंबर को पारित आदेश में कहा कि यह भी देखा जा सकता है कि आवेदक, जिसकी पिछली कोई संलिप्तता नहीं है, के पिछले इतिहास को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि वह भागने का जोखिम उठा सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है या गवाहों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि अधिकांश सबूत अनिवार्य रूप से दस्तावेजी प्रकृति के हैं.
Also Read
- अग्रिम जमानत किन मामलों में दी जानी चाहिए? दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया
- जमानत मिलने पर भी शख्स को जेल में रखने का मामला, जेल अधिकारियों के रवैये से जताई नाराजगी, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर लगाया पांच लाख का जुर्माना
- न्याय का मजाक बना दिया... जमानत मिलने के बाद भी शख्स को रिहा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, जेल सुपरिटेडेंट, महानिदेशक को किया तलब
महेंद्रू को 10 लाख रुपये के जमानत बांड और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने पर जमानत दी गई है. महेंद्रू को जमानत देते हुए अदालत ने शर्तें लगाईं, जिसमें यह भी शामिल है कि आवेदक हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10-11 बजे के बीच जांच अधिकारी को रिपोर्ट करेगा. वह किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा और गवाहों से संवाद या संपर्क नहीं करेगा.
पूरा मामला क्या है?
महेंद्रू ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. उन्हें 28.09.2022 को गिरफ्तार किया गया था और वह 18 महीने से अधिक समय तक हिरासत में रहे. केंद्रीय खुफिया ब्यूरो (सीबीआई) ने 17.08.2022 को भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 120-बी सहपठित 477-ए और भ्रष्टाचार निवारण (PC) अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी. उसके बाद, ईडी ने 22.08.2022 को एक मामला दर्ज किया था, और आवेदक को 28.09.2022 को धारा 19 पीएमएलए के तहत स्थापित प्रक्रिया के पूर्ण उल्लंघन में गिरफ्तार किया गया था. यह तर्क दिया गया कि ईडी ने आवेदक को आरोपी नंबर 1 के रूप में पेश करते हुए 26.11.2022 को ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक अधूरी अभियोजन शिकायत दायर की थी. आवेदक ने नियमित जमानत लेने के लिए 22.12.2022 को ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया. हालांकि, चार अन्य आरोपियों के साथ-साथ, जिन्होंने अलग-अलग जमानत याचिकाएं दायर की थीं, उन्हें 16.02.2023 के साझा आदेश के तहत खारिज कर दिया गया है. महंद्रू ने परिस्थितियों में विभिन्न बदलावों और पर्याप्त समय बीत जाने के मद्देनजर ट्रायल कोर्ट के समक्ष दूसरी जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन उसे भी 24.02.2024 को खारिज कर दिया गया.