Delhi Excise Policy Case: KCR की बेटी कविता के सीए बुचिबाबू गोरांटला को मिली जमानत
नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति के मामले में आरोपी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता के चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरांटला को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि चूंकि आरोपी जांच में सहयोग कर रहा था और उसके पास कोई सबूत नहीं था, इसलिए उसे न्यायिक हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है.
सीबीआई ने सीए बुचिबाबू गोरांटला को नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भूमिका और हैदराबाद स्थित थोक-खुदरा लाइसेंसधारियों, उनके लाभार्थी मालिकों को गलत लाभ पहुंचाने के आरोप में 8 फरवरी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था.
गिरफतारी के बाद 8 फरवरी CBI को ही बुचिबाबू को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था. कोर्ट ने बुचिबाबू को 11 फरवरी तक सीबीआई की कस्डटी में भेजने का आदेश दिया था. पूछताछ के बाद सीबीआई ने और अधिक रिमांड नही मांगी, जिसके चलते कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
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सशर्त जमानत
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि वह "साउथ ग्रुप" के एक भाग के रूप में काम कर रहा था, जिसने दिल्ली आबकारी विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देकर दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के तहत अनुचित लाभ प्राप्त किया था.
जांच में सहयोग और पूछताछ की जरूरत नहीं बताते हुए बुचिबाबू गोरांटला की ओर से अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने सशर्त जमानत दी है. सीबीआई विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने जमानत देते हुए कहा कि बुचिबाबू की कथित संलिप्तता एक सीए के रूप में पेशेवर सलाह देने तक सीमित थी और यह अभियोजन पक्ष का मामला नहीं था.
क्या है मामला
दिल्ली के एक सचिव की रिपोर्ट के आधार पर 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल की सिफारिश में 2021 में दिल्ली सरकार की ओर से लागू की गई आबकारी नीति पर सवाल उठाए गए थे.
आबकारी नीति (2021-22) बनाने और उसे लागू करने में लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों की अनदेखी और नीति के कार्यान्वयन में गंभीर चूक के आरोप लगाने के साथ ही इसमे चुनिंदा लोगो को लाभ पहुंचाने के आरोप भी थे.
आरोपों में निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को टेंडर तक पहुंच बनाने के साथ साथ यह भी आरोप लगाया गया था कि शराब बेचने की वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
उपराज्यपाल की रिपोर्ट में आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया पर भी इन प्रावधानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया.