Cryptocurrency Fraud के आरोपी को Supreme Court से मिली जमानत, करना होगा इन शर्तों का पालन
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) ने शुक्रवार को गणेश शिवकुमार सागर नाम के एक शख्स को जमानत दे दी है. इस शख्स पर चार अलग राज्यों में क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड (Cryptocurrency Fraud) करने का आरोप लगा था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की पीठ ने गुजरात पुलिस द्वारा सूरत में दर्ज इस मामले के आरोपी को जमानत दे दी है जिसके साथ कुछ शर्तें भी रखी गई हैं।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह बात नोट की है कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी थी, चार्जशीट दायर की जा चुकी थी और ट्रायल शुरू होने में कुछ समय था। इस बात पर भी सुप्रीम कोर्ट ने ध्यान दिया है कि आरोपी 30 अप्रैल, 2022 से हिरासत में है; इसी सब के चलते उच्चतम न्यायालय ने गणेश शिवकुमार सागर को कन्डिशनल बेल दे दी है।
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इन शर्तों पर मिली है जमानत
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह जमानत कई शर्तों के साथ दी है; आरोपी का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है, उसके क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, उसको निर्देश है कि वो प्रॉपर्टी की असली टाइटल डीड्स को गुजरात के ट्रायल कोर्ट में सबमिट करेगा, और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि वाली दो सॉल्वेंट ज़मानत भी पेश करनी होंगी।
आरोपी किसी तरह की क्रिप्टोकरेंसी वेबसाइट को याचिकाकर्ता एक्सेस नहीं कर पाएगा, ट्रायल कोर्ट में हियरिंग की हर तारीख पर आरोपी को मौजूद रहना होगा और अगर उसे इस तरह के किसी दूसरे मामले में पकड़ा जाता है तो गुजरात राज्य के पास उसके बेल ऑर्डर को कैंसल करने का अधिकार होगा।
क्या था मामला
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर खुद को 'बक्स कॉइन' (Bux Coin) नाम की एक क्रिप्टोकरेंसी का डिस्ट्रिब्यूटर बताया जिसे 'बिटसॉलिव्स' (Bitsolives) नाम की एक कंपनी ने लॉन्च किया है; इस कंपनी के निदेशक भी याचिकाकर्ता हैं; कहा जा रहा है कि अलग-अलग राज्यों से निर्दोष, भोले निवेशकों ने इस कंपनी से क्रिप्टोकरेंसी खरीदी।
याचिकाकर्ता और उनके सह-आरोपियों ने एक जालिया एक्सचेंज 'कैश फिनेक्स' (Cash Finex) स्थापित किया और निवेशकों को उन्हें क्रिप्टोकरेंसी बेचने के लिए आकर्षित किया। कुछ दिनों में ही यह कंपनी बंद हो गई थी और फिर गायब हो गई; इसके बारे में किसी को कोई खबर नहीं थी।
याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में बेल के लिए याचिका दायर की थी. उनके खिलाफ गुजरात में एफआईआर दर्ज हुई थी जिसके चलते वो जेल में थे। मामले की जांच गुजरात और महाराष्ट्र, दोनों राज्यों द्वारा की गई।