2016 के बाद देश में बढ़ी POCSO मुकदमों में सजा की दर: केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी
नई दिल्ली: केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने POCSO को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में पिछले सप्ताह बताया कि देश में दर्ज होने वाले POCSO के मुकदमों में अपराधियों की सजा की दर बढ़ी है. तेलंगाना के सांसद वेंकटेश नेथा बोरलाकुंता और जी रंजीथ रेड्डी ने लोकसभा में, POCSO अधिनियम के तहत सजा दर के विषय को लेकर सवाल किया था.
सांसदों द्वारा पूछे गए सवाल में वर्ष 2014 के बाद POCSO अधिनियम के तहत मामलों में सजा दर की जानकारी मांगी गई थी. सांसदों ने इस तरह के मुकदमों में सजा दर बढ़ाने के लिए सरकार के प्रस्तावित प्रस्ताव की जानकारी भी मांगी थी.
सवालों का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने बताया की देश में वर्ष 2016 से 2022 तक इस अधिनियम के तहत सजा दर बढ़ती रही है. हालांकि, वर्ष 2021 में इसमें कमी आयी है.मंत्री स्मृति ईरानी ने सदन में वर्ष 2016 से 2021 तक के आकड़े पेश कर बताया कि वर्ष 2016, 2017, 2018, 2019, 2020 और 2021 में सजा दर क्रमानुसार 29.6%, 33.2%, 34.2%, 34.6%, 39.6% और 32.2% थी.
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मंत्री ने वर्ष 2014 और 2015 के लिए, राज्यवार और संघ शासित प्रदेशों की अलग-अलग जानकारी देते हुए बताया की 2014 में राज्यों में सजा दर 30% थी, जबकि संघ शासित प्रदेशों में यह 35.6% थी.
वहीं वर्ष 2015 की जानकारी देते हुए बताया की राज्यों में सजा की दर 36% थी, जबकि संघ शासित प्रदेशों में यह 41.3% थी.
पॉक्सों के सख्त प्रावधान
गौरतलब है कि देश में यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण करने संबंधी अधिनियम 2012 (पॉक्सो) को कानूनी प्रावधानों के माध्यम से बच्चों के साथ होने वाले यौन व्यवहार और यौन शोषण को प्रभावी ढंग से रोकने हेतु लाया गया था.
इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा माना गया है और उसके साथ यौन उत्पीड़न को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. साल 2019 में कानून में संशोधन कर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.
इस अधिनियम के तहत बच्चों की आयु को परिभाषित करने के साथ उनके साथ किए जाने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया.
इस कानून के तहत लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी जो कि18 वर्ष से कम उम्र के हो, उन सभी को अवैध यौन गतिविधियों के विरूद्ध संरक्षण दिया गया है.
इस अधिनियम के तहत अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना का भी प्रावधान किया गया.