सुप्रीम कोर्ट में नवनियुक्त 5 जजों को सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने दिलाई शपथ
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में नवनियुक्त 5 जजों ने आज पद एवं गोपनियता की शपथ ली.सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कक्ष में आयोजित हुए सादे समारोह में सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने इन नवनियुक्त जजों को पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई.
शपथ लेने वालों में राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्र शामिल है.
नवनियुक्त 5 जजों के शपथग्रहण के साथ ही अब देश की सर्वोच्च अदालत में जजों की संख्या बढकर 32 हो गयी है.सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर 2022 को इन 5 जजों की नियुक्ति की सिफारिश केन्द्र को भेजी थी.
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52 दिनों के बाद केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने 4 फरवरी को इन नामों पर मुहर लगाते हुए नियुक्ति वारण्ट जारी किए थे.
जस्टिस पंकज मिथल
जस्टिस पंकज मिथल मूलतः इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं. 17 जून 1961 को जन्मे जस्टिस पंकज मित्तल ने वर्ष 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक करने के बाद 1985 में चरण सिंह विश्वविद्यालय के मेरठ कॉलेज से एलएलबी की डीग्री हासिल की. 1985 में उन्होने उत्तरप्रदेश बार काउंसलि में एक अधिवक्ता के रूप में खुद को रजिस्टर कराया. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज के रूप में नियुक्त होने से पूर्व तक वे यूपी आवास विकास परिषद और अंबेडकर विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानो के स्थायी गर्वमेंट काउंसिल रहें.
7 जुलाई 2006 को बार कोटे से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया था. जिन्हे दो वर्ष बाद 2 जुलाई 2008 को स्थायी किया गया. वरिष्ठता के अनुसार कॉलेजियम ने दिसंबर 2020 में उनके नाम की सिफारिश जम्मू कश्मीर और लद्ददाख हाईकोर्ट के सीजे के तौर पर की. 4 जनवरी 2021 को उन्होने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सीजे के तौर पर शपथ ली.
तत्कालिन सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता में 28 सितंबर 2022 को हुई कॉलेजियम की बैठक के जरिए देश के तीन हाईकोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीश और दो हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिश केन्द्र को भेजी गयी थी.इसी सिफारिश में कॉलेजियम ने सर्वप्रथम राजस्थान हाईकोर्ट के लिए जम्मू कश्मीर के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल का तबादला करने की सिफारिश की थी.
जिसके बाद 13 अक्टूबर 2022 को जस्टिस पंकज मिथल ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली.
जस्टिस संजय करोल
23 अगस्त 1961 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गरली गांव में जन्में जस्टिस संजय करोल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा St. Edward School, Shimla से हासिल की थी. Government Degree College, Shimla से स्नातक के बाद उन्होने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से लॉ डीग्री हासिल की.
लॉ करने के बाद उन्होने 1986 में अधिवक्ता के रूप पंजीकृत होने के बाद सुप्रीम कोर्ट सहित देश की अलग अलग अदालतों में पैरवी शुरू की.
वर्ष 1999 में उन्हे सीनियर एडवोकेट नामित किया किये जाने के साथ ही केन्द्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट पैनल में नियुक्ति मिली.
जस्टिस करोल 1998 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश के एडवोकेट जनरल भी रह चुके है. 8 मार्च 2007 को उन्हे पदोन्नति देते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
25 अप्रैल 2017 को उन्हें कुछ समय के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देते हुए कॉलेजियम ने उन्हे त्रिपुरा हाईकोर्ट का सीजे बनाए जाने की सिफारिश की.
जस्टिस करोल 9 नवंबर, 2018 को त्रिपुरा के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. बाद में तबादले के जरिए उनको पदोन्नति देते हुए 11 नवंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया.
जस्टिस मनोज मिश्रा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा का जन्म 2 जून 1965 को हुआ था. इलाहाबाद में ही प्राथमिक शिक्षा से लेकर ग्रेज्यूएट तक की शिक्षा हासिल की. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद 12 दिसंबर 1988 को एक अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए. इसके साथ ही वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिविल, रेवेन्यू और संविधान मामलों की प्रेक्टिस करने लगे.
22 वर्ष की वकालात के अनुभव के साथ वे 21 नवंबर 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अस्थायी जज नियुक्त किए गए. दो वर्ष बाद ही उन्हे इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही स्थायी जज के रूप में पदोन्नति दी गई.
हाईकोर्ट के 12 वर्ष तक जज रहने के बाद हाल ही में कॉलेजियम ने जस्टिस मिश्रा के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर की थी.
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह देश की सर्वोच्च अदालत में नियुक्त होने वाले 19 वें मुस्लिम जज है. बिहार के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार में जन्मे जस्टिस अमानुल्लाह का जन्म 11 मई 1963 को हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय नेहलुद्दीन एक दिग्गज राजनीतिक एवं सामाजिक व्यक्ति रहे है. अपनी स्कूली शिक्षा और विज्ञान में स्नातक (रसायन विज्ञान ऑनर्स) करने के बाद पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी की डीग्री ली.
एलएलबी करने के बाद 27 सितंबर 1991 को बिहार राज्य बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड कराया. एक वकील के रूप में वे पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस करने लगे. वे मार्च 2006 - अगस्त 2010 तक बिहार सरकार के स्थायी वकील भी रहे.
2002 में बिहार स्टेट बार काउंसिल और 2006 में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चुनाव के लिए सहायक रिटर्निंग ऑफिसर भी रहे. एक वकील के रूप में, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा परिवीक्षाधीनों को संबोधित किया. उन्होंने पटना हाईकोर्ट की किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष, बिहार न्यायिक अकादमी में बोर्ड सदस्य, पटना हाईकोर्ट लीगल कमेटी के भी सदस्य रहें.
20 जून 2011 को उन्हे पटना हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया. करीब 10 बादल उन्हे 10 अक्टूबर 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया जहां उन्हें 08 नवंबर 2021 को आंध्र प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में उन्हे 20 जून 2022 को फिर से पटना हाईकोर्ट में तबादला किया. जहां वे 11 अक्टूबर 2022 को बिहार न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए. वरिष्ठता के चलते 29 नवंबर 2022 को उन्हे बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
13 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इनके नाम की सिफारिश केन्द्र को भेजी.
जस्टिस पीवी संजय कुमार
जस्टिस पीवी संजय कुमार 2021 से मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले, वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में भी काम किया है। न्यायमूर्ति कुमार को अगस्त 1988 में आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल के सदस्य के रूप में नामांकित किया गया था।
14 अगस्त 1963 को हैदराजाबद में जन्में जस्टिस Puligoru Venkata Sanjay Kumar की प्राथमिक शिक्षा के बाद Nizam College, Hyderabad से कॉमर्स में स्नातक की.
दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज से 1988 में लॉ डीग्री हासिल करने के बाद आन्ध्रप्रदेश बार कांउसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्टर्ड हुए.
जस्टिस संजय कुमार ने अधिवक्ता के रूप में आन्ध्रप्रदेश हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करते हुए कई संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता भी रहे. वर्ष 2000 से 2003 तक के वे सरकार के प्लीडर भी रहे.
20 वर्ष की वकालत के बाद उन्हे 8 अगस्त 2008 को तेलंगाना हाईकोर्ट में अस्थायी जज नियुक्त किया गया. डेढ वर्ष बाद 20 जनवरी 2010 को उन्हे स्थायी जज के रूप में पदोन्नति दी गई.
करीब 10 वर्ष तक तेलंगाना हाईकोर्ट में सेवाए देने के पश्चात 14 अक्टूबर 2019 को तबादले के जरिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
करीब 13 साल के हाईकोर्ट जज के अनुभव के बाद 12 फरवरी 2021 को उन्हे मणिपुर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई. जिसके 2 दिन बाद 14 फरवरी 2021 उन्होने मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली.
मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर 2 वर्ष के कार्यकाल के बाद 13 दिसंबर को कॉलेजियम ने उनको सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने की सिफारिश की.