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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: Supreme Court ने ED को लगाई फटकार, कहा 'डर का माहौल पैदा ना करे'

शराब घोटाले के मामले में दायर याचिका में छत्तीसगढ सरकार ने याचिका में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध करते हुए Supreme Court में एक अर्जी दायर की है. याचिका में आरोप लगाया है कि ED मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 17, 2023 9:18 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में ईडी को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह जांच के नाम पर डर का माहौल पैदा ना करे. जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ ने ये मौखिक टिप्पणी छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए की है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को हिदायत दी कि वो डर का माहौल न बनाये.

सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के दो लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें से एक को ईडी ने शराब मामले गिरफ्तार किया है. याचिका में धन शोधन रोधी एजेंसी द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती दी गयी है.

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इसी मामले में छत्तीसगढ सरकार ने याचिका में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध करते हुए एक अर्जी दायर कर दावा किया कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने लिखित में शिकायत देते हुए जांच के दौरान ईडी अधिकारियों द्वारा मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित’’ किए जाने का आरोप लगाया है.

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अर्जी में छत्तीसगढ़ सरकार ने दावा किया है कि कई अधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि न केवल उन्हें धमकाया गया, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों का शारीरिक उत्पीड़न किया गया और उन्हें कोरे कागज या पहले से टाइप दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की धमकी दी गयी.

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मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश

अर्जी पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को छत्तीसगढ की भूपेश बघेल सरकार ने ईडी पर आरोप लगाया है कि ईडी राज्य के आबकारी अधिकारियों समेत सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की कोशिश कर रहा है.

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कि राज्य के आबकारी विभाग से जुड़े बहुत से अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी उन्हें और उनके परिजनों को गिरफ्तार करने तथा खुद मुख्यमंत्री को इस केस में फंसाने की धमकी दे रही है. इस वजह से अधिकारी आबकारी विभाग में काम करने को तैयार नहीं है.

जांच के नाम पर परेशान कर रही ईडी

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चूंकि चुनाव नज़दीक है, इसलिए ये सब हो रहा है. ईडी पूरी तरह से बौखला सी गई है और जांच के नाम पर परेशान कर रही है, 'यह खतरनाक स्थिति है'.

छत्तीसगढ़ सरकार ने याचिका में ईडी पर बुरा बर्ताव’’ करने और राज्य में कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

सरकार ने दावा किया कि अधिकारियों ने कहा है कि वे विभाग में काम नहीं करेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, ईडी बुरा बर्ताव कर रही है। वे आबकारी अधिकारियों को धमकी दे रहे हैं. यह हैरान करने वाली स्थिति है."

सिबल ने कहा कि अब चुनाव आ रहे हैं और इसलिए यह हो रहा है.

वही छत्तीसगढ सरकार की याचिका पर ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने विरोध करते हुए कहा कि जांच एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है.

ईडी के जवाब पर पीठ ने कहा, जब आप इस तरीके से बर्ताव करते हैं, तो एक जायज वजह भी संदिग्ध हो जाती है. डर का माहौल पैदा न करें."

जवाब पेश करने का समय

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी अर्जी में दावा किया कि लिखित में शिकायत करने वाले अधिकारियों को अब दंडात्मक कार्रवाई करने तथा राज्य पुलिस के समक्ष दिए बयान वापस लेने की धमकी दी जा रही है जो अपने आप में अपराध की जांच में हस्तक्षेप है."

सरकार ने कहा कि जिस मुख्य वजह से वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए बाध्य हुई है वह यह है कि ईडी की कार्रवाई न केवल दबाव डालने वाली, गैरकानूनी, पक्षपातपूर्ण, मनमानी, राजनीतिक रूप से प्रेरित’’ है, बल्कि पूरी तरह कानून के अधिकार क्षेत्र के बाहर है.

सरकार ने दावा किया कि प्रतिवादी जांच एजेंसी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है और जांच पूरी तरह पक्षपातपूर्ण, गैर स्वतंत्र है और छत्तीसगढ़ में अस्थिरता लाने के लिए सभी कदम पूर्व नियोजित हैं."

पीठ ने ईडी को राज्य की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है.

ये है मामला

धन शोधन का यह मामला दिल्ली की एक अदालत में 2022 में दाखिल आयकर विभाग के एक आरोपपत्र पर आधारित है. ईडी ने अदालत में कहा था कि एक सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब के व्यापार में बड़ा घोटाला किया गया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस सिंडिकेट में राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारी, निजी व्यक्ति और राजनीति से जुड़े लोग शामिल थे, जिन्होंने 2019-22 के बीच दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया.