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केंद्र ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नौ स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की जारी की अधिसूचना 

कॉलेजियम (सांकेतिक चित्र)

केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की.

Written By Satyam Kumar | Updated : August 22, 2024 9:27 AM IST

केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की.

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है,

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"भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त जस्टिस  (i) सैयद कमर हसन रिजवी, (ii) मनीष कुमार निगम, (iii) अनीश कुमार गुप्ता, (iv) सुश्री नंद प्रभा शुक्ला, (v) क्षितिज शैलेंद्र, (vi) विनोद दिवाकर, (vii) प्रशांत कुमार, (viii) मंजीव शुक्ला और (ix) अरुण कुमार सिंह देशवाल को अपने-अपने पदों का कार्यभार संभालने की तिथि से उसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करते हैं."

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13 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले एससी कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की. एससी कॉलेजियम ने कहा कि उसने प्रक्रिया ज्ञापन के संदर्भ में शीर्ष न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों से परामर्श किया है, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मामलों से परिचित हैं.

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के 26 अक्टूबर 2017 के संकल्प के संदर्भ में भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की एक समिति ने उपर्युक्त अतिरिक्त न्यायाधीश के निर्णयों का मूल्यांकन किया है.

एससी कॉलेजियम ने कहा कि उसने उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए इन अतिरिक्त न्यायाधीशों की योग्यता और उपयुक्तता का आकलन करने के लिए परामर्शदाता सहयोगियों की राय और निर्णय मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट सहित रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री की जांच की है.

सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन अतिरिक्त न्यायाधीशों को मौजूदा रिक्तियों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्णय दिया. सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने सिफारिश से सहमति जताई है.