पाकिस्तान की Seema Haidar पर इन अपराधों के तहत दर्ज किये मुकदमें - जानिये आरोप
नई दिल्ली: अभी हाल ही में एक मामला सामने आया जिसमें कि पाकिस्तान से आई सीमा हैदर को 4 जुलाई को पुलिस ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और सचिन को अवैध आप्रवासियों को शरण देने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने पहले सीमा हैदर पर फॉरनर्स एक्ट सेक्शन-14 और आईपीसी कि धारा 120-बी लगाया था। इन धाराओं में पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। इसलिए कोर्ट से सीमा और सचिन को आसानी से जमानत मिल गई। लेकिन अब इनकी धाराओं में 420, 468 और 471 की बढ़ोतरी की जा सकती है। इसमें सात साल की सजा है। ऐसे में उसे जमानत भी नहीं मिल सकेगी।
हालांकि ,सात जुलाई को नोएडा की एक अदालत ने इन दोनों को जमानत दे दी थी और वे अपने चार बच्चों के साथ रबूपुरा इलाके के एक घर में रह रहे हैं.
Also Read
सीमा अपने चार बच्चों के साथ मई में नेपाल से बस में भारत आई थी, ताकि वह अपने साथी सचिन के साथ रह सके, जो उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा इलाके में रहता है. दोनों पहली बार 2019 में ऑनलाइन गेम पबजी से एक-दूसरे के संपर्क में आए थे.
इस मामले में एक और सबसे बड़ी बात सामने आई है कि सचिन जब पहली बार सीमा से मिलने नेपाल गया था, तो वह तीन फर्जी आधार कार्ड बनवा कर यहां से ले गया था।
जांच एजेंसियां मान रही हैं कि उन्हीं आधार कार्ड के जरिए सीमा नेपाल में भी रही और उसके बाद जब भारत में एंट्री की, तो उसने वही आधार कार्ड एंट्री प्वाइंट पर दिखाया, जिसकी वजह से उसको रोका नहीं गया।
फिलहाल जांच एजेंसियों और नोएडा पुलिस की जांच में अभी तक सीमा के जासूस होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, लेकिन अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ का आरोप उस पर है। न्यायिक प्रक्रिया के जानकारों के मुताबिक ऐसे मामलों में 5 से 7 साल की सजा हो सकती है। लेकिन कोशिश होती है कि आरोपी को वापस उसके देश भेज दिया जाए।
उधर, नोएडा पुलिस कोर्ट में चार्जशीट लगाने के लिए दस्तावेज तैयार कर रही है। पुलिस के पास मुकदमा दर्ज होने के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए 60 दिन का समय है। यूपी पुलिस एटीएस रिपोर्ट के आधार पर धाराओं में इजाफा कर सकती है।
पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर को जल्द पाकिस्तान डिपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोशिशें हो रही है कि जल्द से जल्द पुलिस अपनी चार्जशीट दाखिल करें और कोर्ट में चल रहे केस को खत्म किया जाए और फिर सीमा हैदर को उसके बच्चों के साथ उसके देश वापस भेजा जाए।
अब यह तो वक्त ही बताएगा की सीमा को उसके देश वापस भेजा जाएगा या उस पर यहीं पर मुकदमा चलेगा और क्या उसे सजा होगी। आइये जानते है क्या है फॉरनर्स एक्ट सेक्शन-14 और साथ हि साथ आईपीसी कि धारा में 120-बी,420, 468 और 471 के विषय में विस्तार से ।
विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946
धारा 14 के अनुसार जो कोई भारत के किसी क्षेत्र में, उस अवधि से, जिसके लिए उसे वीजा जारी किया गया था से अधिक अवधि तक रहता है या फिर भारत में या उसके किसी भाग में उसके प्रवेश तथा ठहरने के लिए उसे जारी किए गए विधिमान्य वीजा की शर्तों के अतिक्रमण में कोई कार्य करता है इसके साथ हि जो कोई इस अधिनियम के ऐसे उपबंधों या उसके अधीन किए गए किसी आदेश या इस अधिनियम या ऐसे आदेश के अनुसरण में किए गए किसी निदेश का उल्लंघन करता है, जिसके लिए इस अधिनियम के अधीन किसी विनिर्दिष्ट दंड का उपबंध नहीं किया गया है तो वह कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
IPC Sec 120 -B
यह धारा आपराधिक साजिश से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि जब दो या दो से अधिक व्यक्ति अपराध करने के लिए सहमत होते हैं, और उनमें से कोई भी उस समझौते को आगे बढ़ाने में कोई कार्य करता है, तो उन सभी को उसी सजा से दंडित किया जाएगा जैसे कि उन्होंने स्वयं अपराध किया हो।
धारा 120b के तहत यदि कोई व्यक्ति कोई व्यक्ति फांसी, उम्रकैद या 2 वर्ष से ज्यादा की कारावास से दंड़नीय अपराध (Punishable crime) करने की साजिश (Conspiracy) में शामिल पाया जाता है। ऐसा करने के कारण उसे मुख्य आरोपी के बराबर सजा मिलती है।
यदि किसी अपराध के मुख्य दोषी को 5 वर्ष की कारावास की सजा मिली है तो उसके साथ जो भी दूसरा व्यक्ति किसी भी प्रकार से उस अपराध की साजिश में शामिल होगा। उसे भी 5 वर्ष की सजा से ही दंडित किया जाएगा। लेकिन यदि आरोपी इन गंभीर अपराधों के अलावा 2 वर्ष से कम किसी अपराध को करने की साजिश का दोषी पाया जाता है तो उसे धारा 120 बी के तहत 6 महीने तक की सजा (Punishment for criminal conspiracy) व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
धोखाधड़ी ( Cheating) Sec 420
आईपीसी के सेक्शन 420 में ऐसे व्यक्ति के लिए सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान रखा गया है। जिसके द्वारा बेईमानी या धोखे से किसी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दी जाती है या किसी के बहुमूल्य वस्तु या उस वस्तु के भाग को धोखे से बेचा या हस्तांतरित किया जाता है। अदालत के विवेकानुसार कारावास को सरल या कठोर रखा जा सकता है। यह अपराध एक गैर क़ानूनी गैर जमानती अपराध है। यह एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। इस प्रकार के अपराध के लिए न्यायालय की परमिशन पर पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपराधी से समझौता किया जा सकता है।
छल के प्रयोजन से कूटरचना – Sec 468
यदि कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेज़ों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख -Sec 471
धारा 471 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति ऐसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसके बारे में पहले से ही वो जानता हो कि यह कागजात जाली है मगर फिर भी उन्हें असल के रूप में प्रयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को IPC Section 463 में बताए गए अपराध के अनुसार सजा दी जाती है। धारा 463 के अनुसार ऐसी जालसाई या कूटरचना करने पर 2 वर्ष की कारावास और आर्थिक जुर्माना लगा कर दंडित किया जाता है।
धारा 471 एक संज्ञेय अपराध है, किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं, इस अपराध में किसी व्यक्ति को कोई बड़ा नुक़सान हो सकता है।