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डॉक्टरों के साथ अब नही कर सकते हाथापाई भी, होगी 3 साल की जेल

देश के अलग अलग राज्यों की ओर से पारित किए गए कानुन में एक समाज कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.डॉक्टरों के साथ हिंसा के मामलो को गैर-जमानती अपराध तय किया है. जो लोग इस अधिनियम के तहत कार्य करते है उन्हें पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है

Written By nizamuddin kantaliya | Published : December 15, 2022 8:11 AM IST

नई दिल्ली: डॉक्टर समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, वास्तव में डॉक्टरों के बिना हमारे जैसा समाज नहीं होता। वे समाज को स्वस्थ रखने और जीवन बचाने में प्राथमिक भूमिका निभाते हैं.एक मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता है.

हिंसा के मामले

चिकित्सा में कई बार अपेक्षाओं के अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं होते ऐसी स्थिती में मरीज के रिश्तेदार या उसके साथ आए लोग डॉक्टर के साथ अभद्रता से लेकर हाथापाई तक करते है. हमने कई बार डॉक्टरों के खिलाफ भी हिंसा होती देखी है, भारतीय चिकित्सा संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 75% डॉक्टरों ने कहा है कि उन्होंने अपने अभ्यास के समय में कम से कम एक बार हिंसा का सामना किया है.

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कोविड काल से पूर्व देशभर में दुर्व्यवहार का सामना करने के बाद डॉक्टरों की हड़ताले और विरोध देखे है.कई बार डॉक्टरों को इलाज से खुश नहीं होने वाले मरीजों के परिजनों द्वारा गाली-गलौज का सामना करना पड़ता है. लंबे समय से डॉक्टर बिरादरी एक केंद्रीय कानून की मांग कर रही है, जो उनकी रक्षा करे.

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कोविड काल के दौरान देशभर में डॉक्टरों पर हुए हमले और उनकी मृत्यु के मामलो पर फिर से ऐसे कानून की अपेक्षा की गयी. जिसके बाद देश के कई राज्यों ने डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए कानून पारित किए हैं.

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राज्यों में कानून

देशभर में 23 राज्यों की सरकारों द्वारा मेडिकेयर सर्विस पर्सन और मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम का संरक्षण किया गया है. कई राज्यों में इस प्रकार के कानून प्रस्तावित है. केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों ने इस अधिनियम में सख्त प्रावधान किए है.

अलग अलग राज्यों में पारित किए गए इन कानूनों में अधिकांश का उद्देश्य समान है इसमें कहा गया है कि जो लोग डॉक्टर के जीवन को खतरे में डालते हैं या कोई नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हे इस कानून के तहत सजा दी जा सकती है.

सभी राज्यों ने डॉक्टरों के साथ हिंसा के मामलो को गैर-जमानती अपराध तय किया है. जो लोग इस अधिनियम के तहत कार्य करते है उन्हें पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है और यह गैर-जमानती अपराध है जिसका अर्थ है कि गैर-संज्ञेय अपराध के रूप में जमानत अभियुक्त का अधिकार नहीं होगा लेकिन न्यायाधीश के विवेक पर होगा.

क्या है सजा का प्रावधान

देश के अलग अलग राज्यों की ओर से पारित किए गए कानुन में एक समाज कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. डॉक्टरों के साथ हिंसा करने पर केरल, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश में लाए गए कानून के तहत 3 साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

वही किसी मेडिकल उपकरण को नुकसान पहुंचाने पर उपकरण की मात्रा या कीमत से दोगुना के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा.