क्या विदेशी नागरिक ले सकते हैं भारतीय बच्चे को गोद, क्या है इससे जुड़े नियम
नई दिल्ली: हमारा देश दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. 142 करोड़ के जनसंख्या वाले देश भारत में हर साल तीन हज़ार से चार हज़ार अनाथ बच्चों को गोद लिया जाता हैं. बच्चों को गोद लेने के बाद उन्हें माता-पिता जैसी परवरिश मिलती है, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बच्चों को गोद लेने के बाद उनसे गलत काम करवाते हैं जैसे - की मजदूरी करना, भीख मंगवाना, देह व्यापार का काम करवाना या कोई और गलत या गैरकानूनी काम करवाना.
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 [Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015] की धारा 56(4) के प्रावधानों के तहत कोई भी विदेशी नागरिक भारतीय बच्चों को गोद ले सकता है, लेकिन उन्हें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority - CARA) के बनाए हुए नियमो का पालन करना होगा.
CARA द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार, बच्चा गोद लेने के इच्छुक किसी विदेशी नागरिक के प्रत्येक आवेदन को उस देश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त या लाइसेंस प्राप्त सामाजिक या बाल कल्याण एजेंसी द्वारा प्रायोजित किया जाना चाहिए, जिसमें विदेशी निवासरत है.
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गोद लेने की प्रक्रिया
हेग (Hague) कन्वेंशन के तहत बच्चा गोद लेने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate/NOC) लेना अनिवार्य है, यह NOC को CARA जारी करती है. NOC लेने के बाद Authorized Foreign Adoption Agency (AFAA) के समाजसेवी गोद लेने वालों के घर जाकर उनकी काउंसलिंग करते है और होम स्टडी रिपोर्ट तैयार करते है, उसके बाद गोद लेने वाले माता-पिता का AFAA द्वारा रजिस्टर किया जाता है, रजिस्टर होने के बाद CARA अपनी मंज़ूरी देती है, इसके बाद बच्चे का चुनाव किया जाता है.
चुनाव होने के बाद विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (Special Adoption Agency ) गोद लिए जाने वाले बच्चे को सुनिश्चित करेगा, बच्चा सुनिश्चित होने के बाद ही CARA गोद लेने वालों को NOC जारी करता है. NOC मिलने के बाद बच्चे को गोद लेने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की जाती है. याचिका पर सभी दस्तावेज व तथ्यों की जांच के बाद अदालत आदेश जारी करता है फिर बच्चे के लिए पासपोर्ट, वीजा और अन्य जरूरी दस्तावेजों का इंतजाम किया जाता है.
हेग (Hague) कन्वेंशन क्या है
बच्चों की सुरक्षा और विभिन्न देशों में गोद लेने के संबंध में सहयोग पर हेग कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है. यह समझौता हेग में 29 मई 1993 को हुआ था और 1 मई 1995 से लागू हुआ था. अब तक 99 देशों द्वारा इस संधि को मंजूरी दी गई है और 3 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन अभी तक पुष्टि नहीं की गई है.
हेग कन्वेंशन का उद्देश्य गोद में लिए गए बच्चे के हितों की रक्षा करना और अवैध गोद लेने को रोकना है, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority - CARA) क्या है.
CARA महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय (Autonomous Body) है और भारत में देश के भीतर और अंतर्देशीय गोद लेने के लिए जिम्मेदार है.
क्या है कानून
Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 और Adoption Regulation Act, 2017 के अनुसार कोई भी
विदेशी भारतीय बच्चे को गोद ले सकता है. Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956 के अनुसार किसी भी भारतीय बच्चे को वह विदेशी गोद नहीं ले सकता, जो कभी भारत में नही रहा हो, भले ही वह हिंदू ही क्यों ना हो. हेग कन्वेंशन प्रभावी होगा बच्चे गोद लेने के समय क्योंकि भारत हेग कन्वेंशन को समर्थन करने वाला पक्ष है इसलिए इसे हेग कन्वेंशन को पालन करना होगा.
किशोर न्याय संशोधन विधेयक, 2021
15 मार्च 2021 को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था जो 24 मार्च 2021 को लोकसभा में पास हुआ और 28 जुलाई 2021 को राज्यसभा में पास हुआ था. इस बिल के पास होने के बाद जिला कलेक्टर (District Magistrate) भी कोर्ट के बदले बच्चे गोद लेने का आदेश दे सकते है, लेकिन एक देश से दूसरे देश में गोद लेने के मामले में ये आदेश नहीं दे सकते, उनके क्षेत्राधिकार सिर्फ देश के अंदर के लोगों के लिए है. इस विधेयक को पास होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोद लेने के लिए नियम सख्त हुए और अपराध कम हुए.