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Calcutta High Court ने 5 अगस्त को होने वाले टीएमसी के 'बीजेपी नेताओं के घरों के घेराव' पर लगाई रोक

Calcutta High Court stops TMC program

टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बैनर्जी ने 'भाजपा नेताओं के घरों के घेराव' नाम के एक कार्यक्रम की घोषणा की थी जो 5 अगस्त, 2023 को होना था। बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी है...

Written By Ananya Srivastava | Published : August 1, 2023 9:59 AM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने सोमवार को 5 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के प्रस्तावित कार्यक्रम 'भाजपा नेताओं के घरों के घेराव' पर रोक लगा दी।

दरअसल, 21 जुलाई को पार्टी की वार्षिक "शहीद दिवस" रैली को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी ने कार्यक्रम की घोषणा की थी।

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समाचार एजेंसी आईएएनएस के हिसाब से बाद में अपने भाषण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि यह प्रदर्शन बीजेपी नेताओं के आवास से 100 मीटर की दूरी पर किया जाना चाहिए। केंद्र प्रायोजित कई योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल सरकार को बकाया राशि रोकने के फैसले के विरोध में "घेराव" का आह्वान किया गया था।

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इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। सोमवार को मामले में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्धारित कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए कहा कि ऐसे आंदोलनों से भारी असुविधा हो सकती है। यहां तक कि उन क्षेत्रों में रहने वाले आम लोगों की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि प्रस्तावित आंदोलन कार्यक्रम जनहित के खिलाफ है।

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न्यायमूर्ति शिवगणनम ने राज्य सरकार के वकील से भी सवाल किया कि क्या कोई प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। मुख्य न्यायाधीश इस जवाब से नाखुश दिखे कि चूंकि यह सिर्फ एक घोषणा थी इसलिए प्रशासन ने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर कल कोई कहता है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय का घेराव किया जाएगा तो क्या कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होगी? अगर कोई पुलिस को सूचना दे कि वहां बम रखा गया है तो क्या पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ है।

तृणमूल कांग्रेस के प्रस्तावित कार्यक्रम की न सिर्फ विपक्षी दलों ने आलोचना की थी, इसके अलावा समाज के कई वर्गों और मानवाधिकार समूहों ने भी तीखी नाराजगी जताई थी।