अब नींद खुली! शिकायत के साल भर बाद पूर्व प्रिंसिपल पर लगे आरोपों की जांच करेगी SIT, कलकत्ता HC ने ममता सरकार के फैसले पर उठाए सवाल
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाया जिसमें उसने कोलकाता में सरकारी आर.जी. कार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का फैसला किया है. विशेष जांच दल पूर्व प्राचार्य संदीप घोष पर लगे आरोपों की जांच करेगी. पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान हो रहे घोटाले के खिलाफ आरजी कर कॉलेज व हॉस्पीटल के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक (Medical Superintendent) ने कार्रवाई की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार से देरी से एसआईटी गठित करने पर जवाब मांगा है.
शिकायत के साल भर बाद SIT क्यों गठन की गई? हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार से मांगा जवाब
कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की एकल पीठ ने मामले में आरजी कर के पूर्व उप चिकित्सा अधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने संदीप घोष के खिलाफ मुखर होने के कारण सुरक्षा खतरे की आशंका में सुरक्षा मांगने के लिए उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करने की मांग की थी. बुधवार को अली ने आर.जी. कार में कथित वित्तीय अनियमितताओं की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका भी दायर की.
जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि
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"विशेष जांच दल (SIT) में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करने से यह स्पष्ट है कि मामला गंभीर है, और आश्चर्य है कि मामला राज्य सरकार के संज्ञान में लाए जाने के एक साल बाद टीम का गठन क्यों किया गया"
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के वकील को शुक्रवार को एसआईटी के गठन पर अपना पक्ष रखने का भी निर्देश दिया है.
साल भर से कहां गायब था शिकायतकर्ता, बंगाल सरकार ने याचिका पर उठाया सवाल
राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की हालिया घटना के बीच इस समय जानबूझकर याचिका दायर की गई है. राज्य सरकार के वकील ने यह भी सवाल किया कि शिकायत पर कार्रवाई न किए जाने के एक साल बाद भी याचिकाकर्ता चुप क्यों रहा, जैसा कि उसने दावा किया है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में आर.जी. कर में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप को साबित करने के लिए चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और पुलिस महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल के गठन की घोषणा की, जब संदीप घोष वहां प्रिंसिपल थे.