गलत Post-mortem Report बनाने पर डॉक्टर पर होगी कार्रवाई, Bombay High Court ने राज्य के स्वस्थ्य सचिव को दिया आदेश, जानिए कैसे मामला आया सामने
Legal Action Against Doctor: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने में लापरवाही बरतने के चलते डॉक्टर के खिलाफ विधिक कार्रवाई (Legal Action) करने के आदेश दिए. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य के स्वास्थ्य सचिव एवं पुलिस कमिश्नर को उक्त निर्देश दिए. लापरवाही दिखाने वाले डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के साथ-साथ राज्य को चार सप्ताह के भीतर एक्शन की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा. बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट मर्डर केस के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच हुई. रिपोर्ट से मृतक की मौत का स्पष्ट कारण नहीं पता चला. साथ ही रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण तथ्यों का जिक्र नहीं था. काम में लापरवाही बरतने से नाराज होकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट अस्पष्ट
पोस्टमार्ट रिपोर्ट में कई खामियां मिली. डॉक्टर फाड (Dr. Phad) ने यह रिपोर्ट बनाई थी. रिपोर्ट में मौत के कारण स्पष्ट नहीं थे. कई महत्वपूर्ण जानकारियां नदारद थी. साथ ही फोरेंसिक लेबोरेटरी द्वारा दी गई विसरा की रिपोर्ट से पोस्टमार्टम किए जाने की अवधि भी गलत पाई गई.
डॉ. फाड ने मुरबाड के ग्रामीण अस्पताल में पोस्टमार्टम किया, लेकिन राय अपने निजी अस्पताल के लेटरहेड पर दी, जिससे रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर चिंता बढ़ गई.
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क्या है मामला?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत याचिका सुनवाई की. याचिका जयवंत भोईर (आरोपी) ने किया था. 10 जुलाई, 2020 के दिन, महाराष्ट्र के मोरबाड (Murbad) में हुई हत्या का आरोपी है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की. जांच में रिपोर्ट में कई खामियां मिली, मौत का कारण भी स्पष्ट नहीं था. डॉक्टर द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने से नाराज होकर कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए.
मार्च, 2023 में अदालत ने मृतक की मौत का असल कारणों का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया. बोर्ड द्वारा दी गई रिपोर्ट को पब्लिक प्रोसिक्यूटर आशीष सातपुते ने बेंच के सामने 22 मार्च, 2024 के दिन पेश किया. वहीं बेंच ने डॉक्टर के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई की प्रारंभिक रिपोर्ट चार हफ्ते के भीतर देने के आदेश दिए हैं.