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पाकिस्तान को जानकारी बेचने वाले इंजीनियर की बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले जमानत खारिज की, फिर जमकर फटकारा

Bombay High Court की नागपुर बेंच ने आईएसआई के लिए जासूसी करने और संवेदनशील मिसाइल जानकारी लीक करने के दोषी पूर्व Bramhos  इंजीनियर निशांत अग्रवाल को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने सजा को निलंबित करने की उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अन्य अपराधों से अधिक महत्वपूर्ण है. अग्रवाल को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और पाकिस्तान को गुप्त डेटा के अनधिकृत प्रसारण के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने जासूसी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के पुख्ता सबूत पाए.

Written By Satyam Kumar | Published : August 27, 2024 12:46 PM IST

हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को जमानत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीनियर सिस्टम इंजीनियर अग्रवाल की सजा को रद्द करने की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी है. ब्रह्मोस इंजीनियर को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने और ब्रह्मोस मिसाइलों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक करने का दोषी ठहराया गया था.

राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल जघन्य हत्या के अपराध से कहीं ज्यादा: बॉम्बे हाईकोर्ट 

23 अगस्त के दिन बॉम्बे हाईकोर्ट में  जस्टिस विनय जोशी और वृषाली वी जोशी की बेंच ने ब्रह्मोस इंजीनियर की याचिका खारिज कर दी. बेंच ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल जघन्य हत्या के मामलों से कहीं ज्यादा गंभीर है. अदालत ने  मांग खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा काफी हद तक देश की सुरक्षा से जुड़ा है, जिसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए. अपराध का असर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता था.

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पूरा मामला क्या है?

पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल नागपुर में ब्रह्मोस मिसाइल केंद्र के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत थे. उन्हें 2018 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सैन्य खुफिया और आतंकवाद निरोधक दस्तें (ATS) ने एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया था, जब उन पर ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट (OSA), भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया था.

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सेशन जज एमवी देशपांडे ने उन्हें 3 जून को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. आरोपी ने अपनी सजा को निलंबित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें दावा किया गया कि उसने नौकरी की तलाश करते समय अनजाने में मैलवेयर डाउनलोड किया था. उन्होंने तर्क दिया कि संवेदनशील डेटा के अनधिकृत प्रसारण का कोई सबूत नहीं था, बाहरी उपकरणों की कमी पर जोर देते हुए जो इस तरह के उल्लंघन की सुविधा दे सकते थे.

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हालांकि, अभियोजन पक्ष ने पुख्ता सबूत पेश किए, जिससे साबित होता था कि आरोपी की गोपनीय जानकारी तक पहुंच थी. अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी के  निजी लैपटॉप से ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम से संबंधित 19 गुप्त फाइलें मिलीं. इनमें से 16 फाइलों को गुप्त और सीक्रेट (Secret And Restricted) के रूप में लेबल किया गया था.

आरोप लगा कि उन्होंने ये फाइल पाकिस्तान में इस्लामाबाद से जुड़े सोशल अकाउंट को भेजा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरों के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएँ पैदा हुईं। साक्ष्य से पता चला कि उसने पाकिस्तान में बनाए गए एक फेसबुक अकाउंट से एक फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार की थी और सेजल कपूर नामक व्यक्ति से उसकी पहचान सत्यापित किए बिना बातचीत की थी. अदालत  ने पाया कि उसने व्यक्तिगत जानकारी साझा की और अपने लैपटॉप पर वर्गीकृत डेटा वाले लिंक अपलोड किए, जो मैलवेयर के लिए असुरक्षित था. फोरेंसिक रिपोर्ट ने संकेत दिया कि उसके लैपटॉप पर इंस्टॉल किए गए लिंक बाहरी सर्वर के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने में सक्षम थे.

ट्रायल कोर्ट ने आदेश में कहा,

"हमने पूरी सामग्री को देखा है और प्रतिद्वंद्वी सबमिशन पर विचार किया है. यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि आरोपी ने अपने निजी लैपटॉप पर गुप्त जानकारी/फाइलों की प्रतिलिपि बनाई है. यह रिकॉर्ड में आया है, बल्कि विवादित नहीं है, कि उसने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार की है, जिसे पाकिस्तान में बनाया गया था."

और अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी की मांग से इंकार कर दिया है.