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अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग की गठन की मांग को लेकर PIL, बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए लगाया दस हजार का जुर्माना

बॉम्बे हाईकोर्ट

Bombay High Court ने क्राइमोफोबिया फर्म की एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है और न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए ₹10,000 का जुर्माना लगाया है. Crimophobia की जनहित याचिका में गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए बजट आवंटन, एक अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग का गठन और एक डेयरी शिक्षा संस्थान को बंद करने की मांग शामिल थी. 

Written By Satyam Kumar | Updated : August 20, 2024 5:31 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने क्राइमोफोबिया फर्म की एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है और न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया. क्राइमोफोबिया (Crimophobia) की जनहित याचिका में गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए बजट आवंटन, एक अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग का गठन और एक डेयरी शिक्षा संस्थान को बंद करने की मांग शामिल थी.

 ये PIL न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्राइमोफोबिया पर  लगाया दस हजार का जुर्माना

बॉम्बे हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने कहा कि यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र संगठन) और न्यूजीलैंड के खिलाफ जनहित याचिका में की गई प्रार्थनाओं को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के तहत न्यायालय द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे “न्यायालय की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग” करार देते हुए, अदालत ने याचिकाकर्ता की न्यायिक हस्तक्षेप के माध्यम से व्यक्तिगत विचारों को थोपने के प्रयास की आलोचना की.

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अदालत ने जुर्माना लगाते हुए कहा, 

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“उच्च न्यायालयों द्वारा परमादेश रिट जारी की जाती है, जहां किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन स्थापित होता है. किसी व्यक्ति या संगठन के किसी विशेष विचार को लागू करने के लिए कोई परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है, अगर यह किसी कानूनी आधार द्वारा समर्थित नहीं है. "

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि की गई प्रार्थनाएँ न केवल "प्रकृति में सर्वव्यापी" थीं, बल्कि विविध विषयों को कवर करने वाली संख्या में भी कई थीं. इसने यह भी कहा कि उठाए गए मुद्दे याचिकाकर्ता की "कल्पना की उपज" और बिना किसी कानूनी आधार के थे.

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PIL में क्राइमोफोबिया की मांग क्या थी?

क्राइमोफोबिया की इस याचिका में 11 प्रार्थनाओं के साथ-साथ 13 अंतरिम प्रार्थनाएँ शामिल थी, जिनमें महाराष्ट्र के गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए धन की मांग, अंतरराष्ट्रीय सनातन आयोग का गठन और कई संबंधित मांगें शामिल थी. याचिका में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक "संगठित अपराध विरोधी इकाई" के गठन की भी मांग की गई है और आरे में यूनिसेफ द्वारा सहायता प्राप्त डेयरी संस्थान को बंद करने की मांग की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह वन भूमि पर बनाया गया है.

इसने आरे मिल्क कॉलोनी के भीतर सभी लीज और संपत्तियों के आवंटन को रद्द करने/निरस्त करने के लिए संगठित अपराध विरोधी इकाई के गठन के लिए प्रतिवादियों को निर्देश जारी करने, यूनिसेफ सहायता प्राप्त डेयरी शिक्षण संस्थान को बंद करने और इसकी जगह संगठित अपराध विरोधी इकाई या यूएनटीओसी के कार्यालय को स्थापित करने का निर्देश जारी करने की भी मांग की, ताकि 20वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार इन अपराधों से निपटा जा सके.

जनहित याचिका में गुफा मंदिरों में हिंदू अनुष्ठानों के लिए एक समर्पित बजट का आवंटन, पुजारियों के लिए राज्य द्वारा भुगतान किए जाने वाले वेतन और चुनिंदा गुफा मंदिरों में गुरुकुल की स्थापना सहित कई मांगें की गई थीं. इसने धार्मिक संपत्तियों की देखरेख और मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने के लिए 'बॉम्बे गुफा मंदिर आयोग' और 'अंतर्राष्ट्रीय सनातन आयोग' के गठन की भी मांग की.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्राइमोफोबिया की याचिका खारिज करते हुए उस पर दस हजार का जुर्माना भी लगाया है.