Bombay HC ने रद्द की IIT Aspirant की याचिका, कहा ऐसे संस्थानों में प्रवेश के लिए जरूरी है 'अनुशासन'
नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईआईटी (IIT) में प्रवेश से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया है. एक आईआईटी एस्पिरेंट की याचिका को रद्द करते हुए कोर्ट ने यह कहा है कि आईआईटी जैसे शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए 'अनुशासन' सबसे जरूरी है. मामला क्या है और बॉम्बे हाईकोर्ट का इस बारे में क्या फैसला है, आइए जानते हैं.
IIT एस्पिरेंट की याचिका
समाचार एजेंसी पीटीआई (PTI) के अनुसार, अथर्व देसाई (Atharva Desai) नाम के 18 वर्षीय आईआईटी एस्पिरेंट ने एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि वो एक ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं जहां बार-बार बिजली चली जाती है.
बिजली के जाने और कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से वो खुद को आईआईटी के लिए समय से रजिस्टर नहीं कर पाए थे. उन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि उनका रेजिस्ट्रेशन फॉर्म एक्सेप्ट हो जाए और उन्हें 4 जून को जेईई-अड्वांस्ड (JEE-Advanced) की परीक्षा देने की अनुमति मिल जाए.
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IIT के संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने कही ये बात
बता दें कि अथर्व देसाई की इस याचिका पर आईआईटी के संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने याचिकाकर्ता की दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनके रिकॉर्ड्स के हिसाब से अथर्व देसाई ने ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए पहली बार लॉग-इन तब किया जब फॉर्म भरने की समय सीमा को खत्म हुए एक दिन हो चुका था. ऐसे में, उन्हें परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिलना चाहिए.
संयुक्त प्रवेश बोर्ड की बात सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभय अहूजा (Justice Abhay Ahuja) और न्यायमूर्ति मिलिंद साठाये (Justice Milind Sathaye) की अवकाशकालीन पीठ ने अथर्व देसाई की इस याचिका को रद्द कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कही ये बात
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह कहना है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute Of Technology) जैसे शैक्षिक संस्थान तकनीकी अध्ययन के लिए देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से हैं. ऐसे कॉलेज में प्रवेश के लिए 'अनुशासन' सबसे ज्यादा जरूरी है, यह एक कला है जिसकी ये संस्थान अपने छात्रों से उम्मीद करता है.
उनका यह कहना है कि आईआईटी प्रवेश के लिए फॉर्म भरने की समय सीमा 30 अप्रैल से 7 मई, 2023 तक की थी और ऐसे में सभी एस्पिरेंट्स के पास फॉर्म भरने के लिए बहुत समय था.
जहां याचिकाकर्ता के हिसाब से उन्होंने पहली बार 8 मई को लॉग-इन किया था और तकनीकी दिक्कतों की वजह से वो फॉर्म नहीं भर पाए, वहीं कोर्ट का इसपर कहना है कि उन्होंने समय-सीमा में एक भी बार लॉग-इन करने की कोशिश नहीं की और यह बात गलत है; कोर्ट की समझ से बाहर है.
कोर्ट का यह भी कहना है कि याचिकाकर्ता को फॉर्म भरने में परेशानी हो रही थी लेकिन उन्होंने एक भी बार आईआईटी के प्रवेश बोर्ड से संपर्क करने की कोशिश नहीं की. इन सब बातों के चलते उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया है.