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Bombay High Court ने छह Minors का यौन उत्पीड़न करने वाले Maulvi की आजीवन कारावास की सजा रखी बरकरार

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका को खारिज की जिसमें मौलवी को सात लड़कियों के यौन शोषण करने का दोषी पाया है.

Written By My Lord Team | Published : March 4, 2024 3:02 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने मौलवी की याचिका खारिज की है. याचिका में सेशन कोर्ट (Session Court) के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें आरोपी मौलवी (Maulvi)  को सात लड़कियों (छह नाबालिग बच्चियों और एक नौकरानी) का यौन शोषण (Sexual Harassment) करने का दोषी पाया गया. सेशन कोर्ट ने दोषी को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) के साथ 80,000 जुर्माना देने की सजा सुनाई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले पर सहमति जताई है. ये मामला मेहंदी कासिम v. महाराष्ट्र राज्य के बीच है.[Mehandi kasim v. State of Maharashtra]

Bombay High Court में हुई सुनवाई

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना.  सुनवाई के दौरान बेंच ने चेताया. लोग ऐसे तांत्रिक और बाबा लोगों की परिस्थितियों का फायदा उठाते हैं, पैसे ऐंठने के साथ-साथ उनका यौन शोषण करने में भी सफल रहते हैं. बेंच ने मौलवी की सजा बरकरार रखी है. मौलवी ने साल 2005 से 2010 के बीच छह बच्चियों सहित एक नौकरानी के साथ यौन शोषण किया है.

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बेंच ने कहा, 

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“अपीलकर्ता, एक तांत्रिक/बाबा, ने पीड़ित लड़कियों को ठीक करने के बहाने उनका यौन शोषण किया. यह दुर्भाग्यपूर्ण असल हालात है कि लोग अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए त तांत्रिकों/बाबाओं के दरवाजे खटखटाते हैं और ये तथाकथित तांत्रिक/बाबा इनकी कमजोरी और अंध विश्वास का फायदा उठाते हैं. लोगों का शोषण करते हैं. वे न केवल लोगों से पैसे ऐंठकर उनकी कमजोरियों का फायदा उठाते हैं, बल्कि कई बार समाधान देने की आड़ में पीड़ितों का यौन उत्पीड़न भी करते हैं.”

बेंच ने आगे कहा,

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“तथ्य घृणित है. पीड़ितों की संख्या अधिक है. और सजा इन घृणित कृत्यों के अनुरूप होना चाहिए.”

बेंच ने ये कहकर याचिकाकर्ता (दोषी) की याचिका खारिज कर दी. 

क्या है मामला? 

अपीलकर्ता मेहंदी कासिम ने कुरान पढ़ाने के बहाने लड़कियों से संपर्क किया. ये छह बच्चियां उसकी चार बहनों की संताने थी. इन बहनों में से एक बेहद करीब था. महिला को परिवार में चली आ रही अनुवांशिक बीमारी बेटियों में आने का शक था. महिला को शक था कि बेटियों मानसिक रूप से स्वस्थ पुरूष बच्चों को जन्म नहीं दे पाएगी. मौलवी ने इस बीमारी को ठीक करने का आश्वासन दिया. 

इलाज के बहाने Sexual Harassment

बीमारी ठीक करने के बहाने, उसने बच्चियों को अपने आवास पर बुलाना शुरू किया. घटना 2005 से 2010 के बीच की है. इस दौरान मौलवी ने बच्चियों का यौन शोषण जारी रखा. बच्चियों ने हिम्मत करके मां को ये बात बताई. नवंबर, 2010 में पुलिस ने इस व्यक्ति को गिरफ्तार किया. लड़कियों के यौन उत्पीड़न के अलावा, मौलवी पर पीड़िता के घर में काम करने वाली नौकरानी का भी यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा. 

Session Court ने दोषी पाया 

अप्रैल 2017, मुंबई की सेशन कोर्ट ने मौलवी को धारा 376 (बलात्कार), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 313 (बिना सहमति से शादी), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 420 ( भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धोखाधड़ी) के तहत दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ में 80,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया है.  

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया है.