Advertisement

Badlapur Minor Sexual Assault: हमें लड़कों की मानसिकता बदलने की जरूरत, उन्हें सिखाना चाहिए क्या सही- गलत है? बॉम्बे HC की प्रतिक्रिया

बॉम्बे हाईकोर्ट

Badlapur Minor Sexual Assault: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लड़कों को कम उम्र से ही लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है और उनकी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है.

Written By Satyam Kumar | Updated : August 28, 2024 11:31 AM IST

Badlapur Minor Sexual Assault: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लड़कों को कम उम्र से ही लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है और उनकी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है. अदालत ने यह टिप्पणी बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई के दौरान की. अदालत ने बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न की घटना को स्वत: संज्ञान में लिया था.

लड़कों को कम उम्र से ही सही-गलत सिखाने की जरूरत: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने कहा कि समाज में पुरुष वर्चस्व और अहंकार जारी है और लड़कों को कम उम्र से ही सही और गलत व्यवहार के बारे में सिखाने की जरूरत है. अदालत ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्कूलों में पालन किए जाने वाले नियमों और दिशानिर्देशों को जारी करने के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया,

Advertisement

पुलिस से गलती हुई, तीन पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किया: एजी

अदालत ने कहा कि पीड़ित लड़कियों में से एक और उसके परिवार को पुलिस स्टेशन आकर अपना बयान दर्ज कराने को कहा गया था. उसने कहा कि बदलापुर पुलिस ने उनके घर जाकर बयान दर्ज करने की कोशिश भी नहीं की और बदलापुर पुलिस की जांच में गंभीर चूक हुई है. महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (एजी) बीरेंद्र सराफ ने चूक को स्वीकार किया और कहा कि बदलापुर पुलिस स्टेशन के तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है.

Also Read

More News

अदालत ने कहा,

Advertisement

"हम हमेशा लड़कियों के बारे में बात करते हैं. हम लड़कों को यह नहीं बताते कि क्या सही है और क्या गलत. हमें लड़कों की मानसिकता बदलने की जरूरत है, उन्हें महिलाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए.अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले की सुनवाई 3 सितंबर को करेगी और सरकार को उस तारीख तक समिति के बारे में बताना चाहिए."

उसने कहा कि समिति में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी, एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, एक महिला आईपीएस अधिकारी और बाल कल्याण समिति का एक सदस्य होना चाहिए.

सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल किया कि पीड़ित लड़कियों को एक पुरुष परिचारक के साथ शौचालय में क्यों भेजा गया और क्या स्कूल ने उसे भर्ती करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जांच की थी. इस पर पुलिस ने कहा कि आरोपी के माता-पिता उसी स्कूल में काम करते हैं, इसलिए उसे भी काम पर रखा गया था. आरोपी ने तीन बार शादी की है और उसकी पत्नियों के बयान दर्ज किए गए हैं.

17 अगस्त को पुलिस ने लड़कियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के आरोप में स्कूल के एक अटेंडेंट को गिरफ्तार किया था. यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया है.