Birthday Special- जस्टिस नजीर एक ऐसे सरल जज है जिनका पासपोर्ट ही सुप्रीम कोर्ट जज बनने के 2 साल बाद बना
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर मोस्ट जज रहे जस्टिस एस अब्दुल नजीर का आज जन्मदिन है. वे आज 65 वर्ष के हो गए है. देश की सर्वोच्च अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट में जजों की सेवानिवृति की आयु 65 वर्ष है जिसके चलते जस्टिस नजीर का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था.
जस्टिस नजीर की सेवानिवृत्ति के मौके पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से विदाई समारोह का आयोजन किया गया.
जीवन की पहली यात्रा ही 64 वर्ष बाद
विदाई समारोह के दौरान देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने जस्टिस नजीर को लेकर एक ऐसा खुलासा किया है कि हर कोई जस्टिस नजीर की सरलता और सादगी का कायल हो गया है.
Also Read
- राम मंदिर, न्यायपालिका में अपर कास्ट और राजनीतिक प्रभाव... पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने नए इंटरव्यू में सभी जबाव दिए
- सोशल मीडिया पर 20 सेकंड के वीडियो से बनती है राय, अदालतों के फैसले लेने की प्रक्रिया कहीं अधिक गंभीर: पूर्व CJI DY Chandrachud
- लेडी जस्टिस में बदलाव, लाइव हियरिंग... पूर्व CJI DY Chandrachud की देन, जानें उनके कार्यकाल के दौरान SC में क्या-क्या बदलाव हुए
समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नज़ीर सुप्रीम कोर्ट के एकमात्र जज है जिनका पासपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद बना है.
जी हां, जस्टिस एस अब्दुल नजीर देश की सर्वोच्च अदालत में 17 फरवरी 2017 को जज नियुक्त किए गये थे. लेकिन उनका जीवन में पासपोर्ट ही पहली बार वर्ष 2019 में बना था.
यहां तक की जस्टिस नजीर ने 2019 में बने पासपोर्ट का प्रयोग भी सेवानिवृति से कुछ माह पूर्व किया है. वो पहली बार देश से बाहर मास्को (Moscow) की यात्रा पर गए थे.
क्या आप यकीं कर सकते है देश की सर्वोच्च अदालत में कार्यरत एक जज के पास 60 वर्ष में कभी पासपोर्ट की जरूरत ही ना पड़ी हो, इससे भी इतर की सुप्रीम कोर्ट के जज होने के बावजूद जीवन की पहली विदेश यात्रा भी 64 साल बाद की हो.
एकमात्र आईडी थी डीएल
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने जस्टिस नजीर की इसी सादगी को सार्वजनिक करते हुए कई भावुक बातें कहीं हैं. सीजेआई ने कहा कि "वह मूल रूप से सरल हैं. सेवानिवृति से कुछ समय पूर्व तक उनकी एकमात्र आईडी ड्राइविंग लाइसेंस और जज के रूप में बनी आईडी थी.
सीजेआई ने कहा कि देश की न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट आज एक समर्पित पुत्र, एक कॉलेजियम सहयोगी, एक सज्जन नियोक्ता, एक प्रखर अधिवक्ता, आम जनता के जज और एक प्रिय दोस्त को विदाई दे रहा है.
बेहद कठिन बचपन
सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नजीर का बचपन बेहद कठिन बचपन रहा है, यहां तक कि उन्होने बचपन में समुद्र तट पर मछलियों की भी सफाई का कार्य किया है.
सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नजीर ने ना केवल खेतों में कठिन मेहनत की है बल्कि समुद्र तट पर भी उन्होने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ा है.
सीजेआई ने जस्टिस नजीर के जीवन को प्रेरक बताते हुए कहा कि जस्टिस नजीर के जीवन की जड़े बेहद विनम्रता के साथ शुरू हुई लेकिन बेहद कठिन रास्तों से आगे बढी है.
सीजेआई के शब्दों में "वह दिल से एक किसान हैं जिन्होने अपने चाचा के खेतों में बड़े हुए है और उन्होंने पेराम्बुर समुद्र तट पर मछलियों की सफाई भी की जो वहाँ होती थी. समुद्र तट पर मछलियों की सफाई करने से उनके जीवन की यात्रा की शुरुआत थी."
जनता के जज है जस्टिस नजीर
सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नजीर कानून और उससे प्रभावित लोगों के लिए एक समर्पित जज रहे है जिन्हे जनता का जज कहा जाए तो बेहतर है.
सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नज़ीर ने अपने न्यायिक जीवन में वह सब कुछ किया जिसकी उनसे अपेक्षा की जाती थी. उन्होने प्रशासनिक कानून, फैमिली लॉ और न्याय के दूसरे क्षेत्र में अहम योगदान दिया है.
सीजेआई ने कहा कि जस्टिस नज़ीर ने वह सब कुछ किया है जिसकी एक जज से उम्मीद की जाती है. उन्होंने गवाहों की जिरह पर इतने सारे फैसले लिखे, भले ही उन्होंने अपने शुरुआती वर्षों में खुद गवाहों से जिरह नहीं की थी.
कला प्रेमी भी है जस्टिस नजीर
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने जस्टिस नजीर के कला जीवन पर भी कई आश्चर्यजनक खुलासे किए. सीजेआई के अनुसार जस्टिस नजीर ने अपने कॉलेज के दिनों में थिएटर के स्टूडेंट रहें है. जस्टिस नजीर ने कई नाटकों के संवाद लिखे, दृश्यों की शूटिंग की और अपने नाटक में ही मुख्य महिला गायिका का गाना भी गाया.
सीजेआई ने ये कहा कि जस्टिस नजीर अपने तुलु गीतों के लिए जाने जाते हैं"
उनके लिए देश पहले
समारोह में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने जस्टिस नजीर के जीवन पर बात करते हुए कहा कि जस्टिस नजीर ने अल्पसंख्यक समुदाय से होने के बावजूद बहुमत की राय के साथ अयोध्या मामले में अपना रुख स्पष्ट रखा.
विकास सिंह ने कहा कि उम्मीद थी कि जस्टिस नजीर अयोध्या मामले में एक अलग राय देंगे, लेकिन वह वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष जज हैं, और वह बहुमत के विचार से सहमत थे और यह उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है कि उनके लिए देश पहले आता है और उनके जैसा व्यक्ति सबसे बाद में आता है.
विकास सिंह ने कहा कि एक जज से यही अपेक्षा की जाती है हम सबसे पहले एक भारतीय है और एक भारतीय के रूप में संस्था की सेवा करते है.
विकास सिंह ने जस्टिस नजीर से कॉलेजियम सिस्टम को जोड़ते हुए कहा कि जस्टिस नज़ीर की सर्वोच्च अदालत में नियुक्ति इस तथ्य की गवाही है कि कॉलेजियम प्रणाली अच्छी तरह से काम कर रही है.
उन्होंने कहा, "जस्टिस नज़ीर की नियुक्ति से पता चलता है कि कॉलेजियम प्रणाली भी सुचारू रूप से काम कर रही है क्योंकि जस्टिस नज़ीर किसी पृष्ठभूमि से नहीं थे और अल्पसंख्यक भी थे. यह दिखाता है कि सिस्टम अच्छे लोगों को अदालत में लाने के लिए काम कर रहा है.