अनिल देशमुख को Supreme Court से बड़ी राहत, Bombay High Court से मिली जमानत बरकरार
नई दिल्ली: वसूली मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है.सुप्रीम कोर्ट ने भी अनिल देशमुख को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को बरकरार रखा है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इसके साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील को खारिज कर दिया हैं.
पीठ ने कहा कि देशमुख को इसी तरह के लेन-देन के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पहले ही जमानत दी गई है.
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हाईकोर्ट का आदेश बरकरार
भ्रष्टाचार के मामले में देशमुख को जमानत देने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए जांच एजेंसी सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
73 वर्षीय अनिल देशमुख को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर 2022 को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, हाईकोर्ट ने जमानत के आदेश को 10 दिन बाद प्रभाव में आने के आदेश दिए थे.
सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करते हुए हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले में "गंभीर त्रुटि" बतायी थी. सीबीआई ने अपनी अपील में कहा था कि हाईकोर्ट इस बात पर गौर करने में विफल रहा कि एजेंसी द्वारा दायर चार्जशीट केवल आरोपी से गवाह बने सचिन वझे के बयान पर निर्भर नहीं है, बल्कि अन्य भौतिक सबूतों पर भी आधारित है.
कथित 100 करोड़ की वसूली का आरोप
बार मालिकों से कथित अवैध रिश्वत और महाराष्ट्र में पुलिस ट्रांसफर और पोस्टिंग में 100 करोड़ से अधिक के कथित भ्रष्टाचार के मामले में देशमुख को 2 नवंबर, 2021 को गिरफ्तारी किया गया था. देशमुख के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के साथ साथ सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया था. अक्टूबर 2022 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था.
इसके बाद भी सीबीआई में दर्ज मामले के चलते अनिल देशमुख को जेल से रिहा नहीं किया गया था. जिसके बाद देशमुख की ओर सीबीआई मामले में भी बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई.
12 दिसंबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख को दूसरे मामले में भी जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.